राजभवन भाजपा के कैंप कार्यालय रूप में कार्य कर रहा है: भाकपा

राजभवन भाजपा के कैंप कार्यालय रूप में कार्य कर रहा है: भाकपा

  • राज्यपाल का पद समाप्त किया जाय: पांडेय
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के तहत राज्यपाल का पद समाप्त करने की मांग को लेकर बृहस्पतिवार को बुद्ध स्मृति पार्क के पास एक दिवसीय धरना दिया। इस मौके पर एक सभा भी आयोजित की गई।सभा की अध्यक्षता राज्य सचिव कॉमरेड रामनरेश पांडेय ने की जबकि संचालन कॉमरेड रविंद्र नाथ राय ने किया। सभा को राष्ट्रीय सचिव कॉमरेड नागेंद्र नाथ ओझा, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य कॉमरेड जानकी पासवान, राष्ट्रीय परिषद सदस्य कॉमरेड ओम प्रकाश नारायण, राष्ट्रीय परिषद सदस्य कॉमरेड प्रमोद प्रभाकर, राष्ट्रीय परिषद सदस्य कॉमरेड मिथिलेश कुमार झा, महिला समाज महासचिव राजश्री किरण, कॉमरेड रामबाबू कुमार, विजय नारायण मिश्र, रामलाला सिंह, एटक के प्रदेश अध्यक्ष कॉमरेड अजय कुमार, रामबाबू सिंह, पटना जिला सचिव विश्वजीत कुमार आदि के अलावे सीपीएम के राज्य सचिव मंडल सदस्य अरुण कुमार मिश्र ने भी संबोधित किया।
धरना को संबोधित करते हुए भाकपा के राष्ट्रीय सचिव व पूर्व सांसद नागेंद्र नाथ ओझा ने कहा कि भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार हमारी शासन व्यवस्था संघीय ढांचे पर आधारित है, जिसमें सरकार के विभिन्न स्तरों पर कामकाज एवं अधिकारों का बंटवारा किया गया है। लेकिन जब से केन्द्र में भाजपा सरकार आई है, वह देश की सांस्कृतिक, भाषाई एवं क्षेत्रीय विविधता को समाप्त करना चाह रही है। जनता द्वारा निर्वाचित लोकतांत्रिक पद्धति से चुनी राज्य सरकारों के कार्य क्षेत्र एवं अधिकारों पर लगातार अतिक्रमण कर रही है। संविधान प्रदत्त संघीय ढांचे की भावना का क्षरण हो रहा है। संविधान की मूल भावना पर चोट किया जा रहा है। मोदी सरकार के आने के बाद अन्तर्राजीय परिषद, राष्ट्रीय परिषद की बैठके एवं विमर्श अनियमित हो गया है। जीएसटी का आनन-फानन में लागू कर राज्य सरकारों को आर्थिक रूप से पंगु बना दिया गया। कोरोना काल का फायदा उठाते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करना, तीन विवादित काले कृषि कानूनों को लाना देश की संघीय व्यवस्था पर चोट है।
भाकपा के राज्य सचिव रामनरेश पांडेय ने कहा कि राज्य की जनता द्वारा निर्वाचित राज्य सरकारों को अस्थिर करने का काम केन्द्र के एजेन्ट के तौर पर राज्यपाल निर्लज्जतापूर्वक कर रहे हैं। केन्द्र सरकार गर्वनर पद का राजनीतिकरण कर रही है। बिहार सहित कई राज्यों में कुलपतियों कीे नियुक्ति में यूजीसी एवं अन्य शैक्षणिक अर्हताओं को दर किनार कर कुलाधिपति मनमाना कर रहे है। खुले आम भ्रष्टाचार में विश्वविद्यालयों के कुलपति लिप्त है। केरल जैसे राज्य ने तो राज्यपाल को कुलाधिपति पद से हटा कर किसी शिक्षाविद को कुलाधिपति बनाने का प्रस्ताव विधानसभा में पास किया है। दिल्ली, तमिलनाडु तेलंगना, केरल आदि राज्यों में राजभवनों को भाजपा का कैम्प कार्यालय बना दिया गया है। राज्यपाल के पद को समाप्त करने की मांग का वक्त आ गया है। पार्टी का यह लगातार रूख रहा है। लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राज्य सरकारों को राज्यपाल द्वारा नियंत्रित करने का काम देश के संविधान पर कुठाराघात है। यह देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के विरूद्ध है। केंद्र की सत्ता में आरएसएस नियंत्रित बैठी नरेंद्र मोदी की सरकार संवैधानिक नींव को लगातार कमजोर कर रही है। केंद्रीकरण की आरएसएस की विचारधारा द्वारा निर्देशित इस उद्देश्य के लिए राज्यपाल के कार्यालय का दुरुपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार राजभवन के माध्यम से उच्च शिक्षा को भी बर्बाद करने पर तुली हुई है। 2014 के बाद बिहार में जीतने भी राज्यपाल आये हैं, उन्होंने आरएसएस विचारधारा को मानने वाले अधिकांश व्यक्तियों की नियुक्ति विश्वविद्यालयों में कुलपति की है। भ्रष्टाचार में लिप्त कई कुलपतियों पर निगरानी की जांच भी चल रही है। वहीं कई विश्वविद्यालय में सिलेबस में भी बदलाव करने की कोशिश की गई है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में राजभवन पूरी तरह भाजपा कार्यालय के रूप में कार्य कर रहा है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी शुरू से ही राज्यपाल के पद को समाप्त करने की मांग करती रही रही है। हमारी मांग है कि राज्यपाल के पद को समाप्त किया जाय।
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