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अंजान की खोज

अंजान की खोज

मोहब्बत करने वाले
अंजाम से नहीं डरते।
जब मिल जाते है उनके
किसीसे अंजान से नैन।
तो दिलमें आग सी उनके
अंदर लग जाती है।
फिर उसी आगे के पीछे
लगा देते अपना जीवन।।


मोहब्बत वो नशा है जिस पर
दवा कोई काम नहीं करती।
और दिल दिमाग पर उसके
मेहबूब की सूरत दिखती है।
ख्यालों में ही वो उसके
हमेशा खोया रहता है।
और मेहबूब के आने का
वो इंतजार करता रहता है।।


ना जाने कितने लोग
मोहब्बत की बलि चढ़ गये।
पर अपनी मोहब्बत को
कभी भूला नहीं पाए है।
और हँसकर और रो कर
जमाने से विदा हो गये।
पर अपनी मोहब्बत को
अमर इस जहाँ में कर गये।।


बहुत शुकुन मिलता है
मोहब्बत के किस्से सुनकर।
कल्पनाओं के सागर में
ये दिल भी डूब जाता है।
अजब सी लहर फिर दिलमें
दौड़ने लगती है।
और आँखे खोजने लगती
किसी अंजान चेहरे को।।


जय जिनेंद्रसंजय जैन "बीना" मुंबई
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