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भारत की सबला नारी

भारत की सबला नारी

अबला नहीं सबला नारी हूं रणचंडी दुर्गा हूं मैं।
खडग खप्पर धारणी हूं रक्तबीज संहारिणी हूं।
अथाह प्रेम का सागर हूं नारी शक्ति समेटे भारी हूं।
करती धूप में मजदूरी मैं भारत की सबला नारी हूं।
मैं भारत की सबला नारी हूं


अबला नहीं सबला हूं रचती हूं नित नये कीर्तिमान।
अंतरिक्ष छूकर लहरा दिया परचम नहीं अभिमान।
स्वाभिमान भरा रग में दुश्मन पर पड़ती भारी हूं।
परिवार पोषण करूं, मैं भारत की सबला नारी हूं।
मैं भारत की सबला नारी हूं


सेवा सुरक्षा शिक्षा साहित्य सृजन में हाथ रहा मेरा।
कमान देश की संभाल सके पल पल साथ रहा मेरा।
धीरज धरा की भांति है हर दुख दर्द सह आभारी हूं।
निवाला औरों को खिलाती मैं धीरज धरती भारी हूं।
मैं भारत की सबला नारी हूं


नारी उत्पीड़न की सीमा जब हद से पार हो जाती है।
क्रोधाग्नि नयनों में उठती नारी रणचंडी बन जाती है।
नेह भरी बहती गंगा अविरल नारी शक्ति अवतारी हूं
संघर्षों से नहीं घबराती मैं भारत की सबला नारी हूं।
मैं भारत की सबला नारी हूं


लक्ष्मी रूप में जन्म लेती गृहलक्ष्मी बन जाती हैं
परिवार का पोषण करती अन्नपूर्णा कहलाती है
मां का दर्जा मिला मुझे वात्सल्य की मूर्त सारी हूं
रह लेती अभावों में मैं भारत की सबला नारी हूं।
मैं भारत की सबला नारी हूं


रमाकांत सोनी सुदर्शन नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
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