चर्चा में डिम्पल व रिवाबा

चर्चा में डिम्पल व रिवाबा

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)
जिस समय लोग भारत और इंग्लैण्ड के बीच टी-20 वल्र्डकप सेमी फाइनल को सांस रोककर देख रहे थे, उसी समय गुजरात और उत्तर प्रदेश में सियासत का भी क्रिकेट हो रहा था। गुजरात में सत्तारूढ़ भाजपा ने इस बार कई विधायकों का टिकट काट दिया तो जाम नगर उत्तर विधानसभा सीट से आलराउंडर क्रिकेटर रवीन्द्र जडेजा की पत्नी रिवाबा जडेजा को प्रत्याशी बनाया है। इसकी खूब चर्चा हो रही है। उधर, उत्तर प्रदेश में सभी की निगाहें मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव पर लगी थीं। यहां पर समाजवादी पार्टी (सपा) ने डिम्पल यादव को प्रत्याशी बनाया है। देखना यह है कि भाजपा इस सीट पर किसको मुकाबले में खड़ा करती है।

गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 के लिए राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ?ने भारतीय क्रिकेट ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा जडेजा को जामनगर उत्तर विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है, और इस सीट के मौजूदा विधायक धर्मेन्द्रसिंह एम. जडेजा का टिकट काट दिया गया है। इसके अलावा कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को भी वीरमग्राम से पार्टी उम्मीदवार बना दिया गया है। भाजपा पहली सूची में 182 में से 160 विधानसभा सीटों के प्रत्याशी घोषित कर दिए गए हैं। इस सूची में कुल सात नाम ऐसे हैं, जो पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे। हाल ही में पुल हादसे की वजह से सुर्खियों में रही मोरबी विधानसभा सीट से भाजपा ने मौजूदा विधायक का टिकट काटकर पूर्व विधायक कांतिलाल अमृतिया को उम्मीदवार बनाया है, जो कथित रूप से हादसे के वक्त लोगों की जान बचाने के लिए नदी में कूद गए थे। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को घाटलोडिया विधानसभा सीट से पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है।

पिछले 27 साल से गुजरात में सत्तासीन भाजपा ने अपने कई वरिष्ठ नेताओं को चुनाव मैदान में नहीं उतारा है, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी शामिल हैं। पहली बार चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों में रिवाबा जडेजा शामिल हैं, जो वर्ष 2019 में भाजपा में शामिल हुई थीं। रिवाबा मैकेनिकल इंजीनियर हैं, और कांग्रेस के दिग्गज नेता हरि सिंह सोलंकी की रिश्तेदार हैं। क्रिकेटर रवींद्र जडेजा से उनका विवाह वर्ष 2016 में हुआ था। कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए सात प्रत्याशी हैं, जो वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर ही लड़े थे। इनमें प्रद्युम्न जडेजा तथा अश्विन कोतवाल शामिल हैं। गुजरात कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल 2017 में चुनाव नहीं लड़ पाए थे, क्योंकि उस वक्त उनकी आयु 25 वर्ष से कम थी। गुजरात में पहले चरण के मतदान में 89 सीटों पर 1 दिसंबर और दूसरे चरण में 5 दिसंबर को 93 सीटों पर वोटिंग होगी। मतगणना, यानी चुनाव परिणाम की घोषणा 8 दिसंबर को की जाएगी।

उधर, उत्तर प्रदेश में मैननपुरी लोकसभा सीट के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने प्रत्याशी के नाम का एलान कर दिया है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को प्रत्याशी बनाया गया है। सपा ने उनके नाम की घोषणा कर दी। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी सीट पर उपचुनाव होने जा रहा है। इसके लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है। समाजवादी पार्टी मैनपुरी से उम्मीदवार के तौर पर डिंपल यादव के अलावा तेज प्रताप यादव और धर्मेंद्र यादव के नाम पर विचार कर रही थी, लेकिन अब को डिंपल यादव के नाम पर मुहर लग गई है। डिंपल इससे पहले कन्नौज से सांसद रह चुकी हैं। फिरोजाबाद से भी चुनाव लड़ी थी, लेकिन हार का सामना करना पड़ा था। डिंपल यादव के चुनाव का संचालन खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव करेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव का राजनीतिक करियर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। डिंपल अपना पहला चुनाव हार गई थीं, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने अपना आत्मविश्वास बनाए रखा। उनके भाषणों में शालीनता साफ दिखती है, यही वजह है कि वह कम समय में ही लोगों के दिलों में उतरती चली गईं। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की दो सीटों फिरोजाबाद और कन्नौज से चुनाव लड़ा। बाद में अखिलेश ने फिरोजबाद सीट छोड़ दी थी। उपचुनाव में डिंपल को वहां से उम्मीदवार बनाया लेकिन डिंपल कांग्रेसी नेता राज बब्बर से चुनाव हार गईं थी।

अखिलश यादव के कन्नौज लोकसभा सीट छोड़ने के बाद वहां 2012 में उपचुनाव हुआ। सपा ने इस बार भी डिंपल यादव पर भरोसा जताया। इस चुनाव में बसपा, कांग्रेस, भाजपा ने उनके खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारा जबकि, दो लोगों के नामांकन वापस लेने के बाद डिंपल निर्विरोध चुनाव जीतने में कामयाब रहीं। वहीं 2014 लोकसभा चुनाव में भी वह कन्नौज सीट बचा ले गईं थी हालांकि 2019 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

मैनपुरी उपचुनाव में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने भी ताल ठोंकी है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर (ओपी राजभर) ने सुभासपा प्रत्याशी का एलान किया था। उन्होंने मैनपुरी उपचुनाव में रमाकांत कश्यप को प्रत्याशी बनाया है। रमाकांत कश्यप इटावा के रहने वाले हैं। हालांकि भाजपा ने अभी अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की है। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का इसी 10 अक्तूबर को निधन हो गया था। वह मैनपुरी लोकसभा सीट से सांसद थे। इसी कारण अब इस सीट पर पांच दिसंबर को मतदान होगा। चार अक्तूबर 1992 को नेताजी ने समाजवादी पार्टी का गठन किया और वर्ष 1996 का पहला लोकसभा चुनाव लड़ा। सपा के गठन के बाद से इस सीट पर अन्य किसी दल को जीत नहीं मिली। इसीलिए मैनपुरी को सपा का गढ़ कहा जाता है। हर दल ने सपा के गढ़ को तोड़ने की कोशिश की, लेकिन सफलता किसी के हाथ नहीं लगी। अब नेताजी नहीं हैं, उनके बिना ही, उनकी कर्मभूमि पर चुनाव होगा। विरोधी दल नेताजी के गढ़ में सेंध लगाने की पूरी कोशिश करेंगे। सपा ने नेताजी की विरासत वाली सीट पर जीत दर्ज करने के लिए डिम्पल यादव को मैदान में उतारा है। समाजवार्दी पार्टी मतदाताओं की सहानुभूति नेताजी की यादों के सहारे इस चुनाव में हासिल करने की पूरी कोशिश करेगी।सपा के गठन के बाद से अब तक मैनपुरी लोकसभा सीट पर कुल नौ लोकसभा चुनाव हुए। प्रत्याशी कोई भी रहा हो, पर्दे के पीछे हमेशा नेताजी ही रहे। हर चुनाव में उनका जादू चला। उनके जादू के दम पर ही सपा कभी भी लोकसभा चुनाव नहीं हारी।
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