कुआं,अशोक और मां शीतला
भारत के इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में लिपटा है बिहार। रामायण काल में इस धरती पर मां सीता का अवतरण हुआ था।महाभारत युग में जरासंध ने यही अपना साम्राज्य से फैलाया था। दुनिया को प्रथम लोकतंत्र इसी भूमि ने दिया था ।इसी भूमि पर बुद्ध को निर्वाण की प्राप्ति हुई। गुरु गोविंद ने जन्म लिया। महावीर, कालिदास, आर्यभट्ट,चाणक्य, आदि विशिष्ट जनो ने इसी मिट्टी को पावन किया था। यूं तो बिहार को बुद्ध भूमि भी कहा जाता है। मगर अगर अगली बार इस भूमि पर आना हो तो राजगीर, गया, नालंदा,भागलपुर के साथ-साथ बिहार के पटना से शीतला माता मंदिर का परिभ्रमण करना कतई न भूलें। यह अपने आप में काफी विशिष्ट है। सम्राट अशोक को कौन नहीं जानता?उन्हीं के जन्म स्थान के रूप में प्रसिद्ध पाटलिपुत्र उनके राजकाज की राजधानी हुआ करती थी। यही माता दुर्गा की पूजा का स्थान(शीतलामाता मंदिर) है, जिसे मां दुर्गा का शक्तिपीठ भी कहा जाता है। यह मंदिर देवघर टावर चौक के पास मुख्य बाजार में स्थित है। इसमें शीतला देवी की छवि और सप्तमातृकाओं (सात माता रूपों)के पिंड है। यह मंदिर प्रांगण अपने अंदर कई ऐतिहासिक तथ्यों रहस्य को समेटे हुए है।
इतिहासकारों के मुताबिक 2500 वर्ष पूर्व यहां कुआं एवं वर्तमान नवपिंडी थी जो छोटे मंदिर में स्थापित थी।एक समय तुलसी मंडी में कुएं की खुदाई के दौरान माता की मूर्ति खड़ी अवस्था में पाई गई। छोटी और बड़ी पहाड़ी तथा तुलसी मंडी के स्थानीय लोगों ने विचार कर इसे (शीतला)इसी स्थान पर प्राण प्रतिष्ठा कर दी। इस स्थान पर पहले से भी पूजा पाठ पंडितों द्वारा किया जाता रहा था। इस मंदिर से सटे ही ऐतिहासिक कुआं है। इसकी खुदाई मगध सम्राट अशोक के काल 273_232 ईसा पूर्व में की गई थी।इसकी विशेषता यह है कि प्राचीन होने के बाद भी यह का पानी कभी सूखता नहीं। विशेषताओं में यह भी है कि, इसका पानी रंग बदलता है और मान्यता यह भी है कि इसके जल से चेचक जैसी व्याधि जड़ से मिट जाती है। इस कुएं की गहराई के संबंध में पुरातत्व विभाग का कहना है कि कुएं की ’गहराई लगभग 105 फीट है।’ ’अगम यानी पाताल’ इसकी गहराई के कारण ही इसे अगम कुआं भी कहा जाता है। मान्यता है की यह कुआं पाताल लोक से जुड़ा है। यह बिहार के सबसे पुराने आरकीओलॉजिकल साइट्स में से एक है।पौराणिक कथानुसार इसे अशोका का यातना गृह भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस कुएं के अंदर नौ और कुएं हैं,और सबसे अंत में एक तहखाना है। यहां सम्राट अशोक का खजाना था ,और ऐसे खजाना गृह भी कहा जाता है। खजाना गृह अशोक के साम्राज्य कुम्हरार से एक सुरंग द्वारा जुड़ा हुआ था।
कहते हैं कि इस कुएं के रहस्य को वैज्ञानिक ने तीन बार जाने की कोशिश की, लेकिन तीनों ही बार वैज्ञानिकों के हाथ कुछ ठोस प्रमाण नहीं लग सका। जानकारी के अनुसार पहली बार 1932में इसके बारे में जानने की कोशिश की गई।फिर 1962 में और 1995में इसके बारे में जानने की कोशिश तो कई बार की गई,मगर इसके राज से पर्दा उठ न सका और यह पुनः शोध का विषय ही रह गया।कुएं का व्यास 16 फिट का है।इसके आधे हिस्से की चुनाई ईट से की गई है,जबकि नीचे के लगभग 60 फीट का हिस्सा लकड़ी के छल्ले से बांटा गया है, कुएं की संरचना अद्भुत है। कहा जाता है कि,बादशाह अकबर के शासन काल में कुएं का जीर्णोद्धार किया गया था। वर्तमान समय में कुए को संरक्षित रखने के लिए कुएं के ऊपर छतरी नुमा ढाचा तैयार किया गया है।
इस मंदिर को चमत्कारी शक्तियों का स्थान भी माना जाता है।साथ ही इस कुएं को पश्चिम बंगाल के गंगासागर से जुड़ा हुआ भी माना जाता है। कहा तो यह भी जाता है कि गंगासागर में स्नान करते हुए एक बार किसी अंग्रेज की छड़ी डूब गई थी,जिसे अगम कुआं स्थित इसी कुएं में तैरता हुआ पाया गया था।जिसे आज भी कोलकाता के म्यूजियम में संरक्षित रखा गया है।कहा तो यह भी जाता है कि चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने बौद्ध शिक्षा प्राप्ति से पूर्व अपने साम्राज्य के विस्तार हेतु अपने 99 भाइयों की हत्या कर उसके शव को इसी कुएं में फेंक दिया था ताकी उनका एकक्षत्र राज कायम रह सके।
मंदिर के मुख्य द्वार के पूर्व में ही शीतला माता का मंदिर है।मंदिर के दरवाजे के पूर्व एवं दक्षिण कोने पर शीतला माता की खड़ी मूर्ति है। शीतला माता के मूर्ति के दाहिने त्रिशूल तथा बाय अंगार माता की मूर्ति है।दरवाजे के भीतर पिंडी रूप में सात शीतला एक भैरव तथा एक गौरैया गुंबद के नीचे आसीन है।चमत्कारिक शक्तियों से विभूषित इस मंदिर में हर तरह की मनौती पूर्ण होती है। यह माता वैष्णो की छोटी मंदिर, बाबा भोलेनाथ के शिवलिंग के साथ एक वृहत हवनकुंड तथा एक बाली बेदी भी है,जहां मनोकामना पूर्ति के पश्चात पशुओं की बलि दी जाती है। हिंदू नव वर्ष चैत्र नवरात्र को इसकी महता और भी बढ़ जाती है।दूर दूर से श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि,मंदिर प्रांगण में असीम शांति प्राप्त होती है।यहां बैठकर मन चिंता मुक्त हो जाता है। माता शीतला सब पर अपनी कृपा दया बरसाती हैं। सभी रोगों और व्याधियों से मुक्ति मिलती है।
लेखिका रजनी प्रभा पता.कुंदन कुमार सिंह, जारंगडीह, गायघाट,मुजफ्फरपुर,बिहार(843118)
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