तेजस्वी के महागठबंधन को संकेत

तेजस्वी के महागठबंधन को संकेत

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)

बिहार में दो विधानसभा सीटों पर सम्पन्न हुए उपचुनावों के नतीजे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और राज्य के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के लिए एक चेतावनी देते हैं। तेजस्वी को उनके पिता लालू यादव राज्य का भावी मुख्यमंत्री मान रहे है। उनके महागठबंधन को एक सीट पर विजय हासिल हुई लेकिन दूसरी सीट पर पराजय इसलिए मिली क्योंकि भाजपा विरोधी वोट असदउद्दीन ओबैसी और तेजस्वी के मामा ने बांट लिये। इसलिए बहुत कम मतों से राजद का प्रत्याशी पराजित हो गया। गोपालगंज में भाजपा और राजद के बीच कांटे की टक्कर हुई है। यहां पर भाजपा की कुसुम देवी ने राजद के मोहन प्रसाद गुप्ता को 1794 मतों से पराजित किया है। भाजपा को 70053 वोट मिले जबकि राजद को 68259 राजद की हार में एआईएमआईएम और तेजस्वी के मामा साधू यादव की पत्नी की प्रमुख भूमिका रही है जिन्हें क्रमशः 12212 और 8853 मत मिले हैं। राजद का प्रमुख वोट बैंक मुस्लिम वर्ग और यादव वर्ग का है जाहिर है कि ओबैसी ने राजद के वोट बैंक में छेद लगा दिया है। राजद को मोकामा में जीत मिली है क्योंकि यहां पर बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी चुनाव लड़ रही थीं हालांकि भाजपा ने भी बाहुबली ललन सिंह की पत्नी सोनम देवी को प्रत्याशी बनाया था लेकिन बाहुबली अनंत सिंह का पलड़ा भारी पड़ा। नीलम सिंह को 79744 मत मिले जबकि भाजपा प्रत्याशी सोनम सिंह को 63003 वोट ही मिले पाये। राजद को 2024 के आम चुनाव में अगर भाजपा के नेतृत्व वाले राजग को पराजित करना है तो अपने गठबंधन और वोट बैंक को संभालना होगा। नेपाल सीमा से लगे गांवों में ओबैसी ने सेंध लगायी है, यही संकेत उपचुनाव के नतीजों ने दिया है। सुशील मोदी ने भी यही संकेत दिया।

बिहार में दो सीटों के लिये हुए उपचुनाव के नतीजे चैंकाने वाले थे। उपचुनाव में राजद और बीजेपी को एक-एक सीटें आई हैं और दोनों के बीच मैच बराबरी पर रहा लेकिन अब चुनावी नतीजों पर सुशील मोदी और तेजस्वी यादव आमने सामने आ गए हैं। उपचुनाव के नतीजों पर उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि दोनों प्रत्याशियों को जीत के लिए शुभकामनाएं। हम उम्मीद करते हैं कि जनता ने जो उन पर भरोसा किया है उस पर वो खरा उतरें। तेजस्वी ने कहा कि मोकामा का उपचुनाव जहां एकतरफा रहा वहीं गोपालगंज में हम 40 हजार से चुनाव 2020 में हारे थे लेकिन इस बार सिंपैथी फैक्टर होने के बावजूद बीजेपी सिर्फ 1700 सीटों से चुनाव जीती है। वहां का मुकाबला दिलचस्प रहा और हमारा प्रयोग सफल रहा। एनडीए के कोर वोटों में भी महागठबंधन के लोगों ने सेंधमारी कर ली है। तेजस्वी ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार और सभी महागठबंधन के घटक दलों को धन्यवाद कि हमने मजबूती से चुनाव लड़ा। उन्होंने कहा कि गोपालगंज विधानसभा चुनाव में अगली बार हम कम से कम 20 हजार से चुनाव जीतेंगे। नतीजों पर बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि दो सीटों पर हुए उपचुनावों के परिणाम से साफ है कि जनता ने सात दलों की महागठबंधन सरकार को नकार दिया। इस उपचुनाव में नीतीश कुमार अपना आधार वोट भी नहीं बचा पाए। गोपालगंज में भाजपा अपने आधार वोट को एकजुट रखकर विजयी रही तो उधर मोकामा में पार्टी को 63 हजार से ज्यादा वोट पाना और आतंक के पर्याय छोटे सरकार (अनंत सिंह) की पत्नी (राजद प्रत्याशी) को कड़ी टक्कर देना बड़ी बात है। मोदी ने कहा कि मोकामा की जीत महागठबंधन की जीत नहीं, बल्कि छोटे सरकार की जीत है। छोटे सरकार पार्टी बदल-बदल कर जीतते रहे, लेकिन इस बार तेजस्वी प्रसाद यादव और ललन सिंह के हेलीकाप्टर उतारने के बाद भी उनके प्रत्याशी की जीत का अंतर आधा हो गया। सुशील मोदी ने कहा कि जदयू के राजद से फिर हाथ मिलाने के कारण नीतीश कुमार का लव-कुश और अतिपिछड़ा वोट खिसक कर भाजपा के साथ आ गया। वो वोट ट्रांसफर करने की क्षमता खो चुके हैं।

नतीजे आते ही बिहार की सियासत भी गर्मा गई है। एनडीए हो या महागठबंधन दोनों तरफ से दावे किए जा रहे हैं कि जनता ने उन पर भरोसा किया है। इसको लेकर नेताओं में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है लेकिन इसी बीच कभी नीतीश कुमार के बेहद करीबी रहे आरसीपी सिंह और प्रशांत किशोर ने भी महागठबंधन पर जमकर हमला बोला है। पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने सुल्तानगंज में सरदार पटेल की याद में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला और सरदार पटेल के बहाने एक खास जाति को मैसेज देते हुए कहा कि जैसे गांधी जी को मानने वाले खुद को गांधियाइट कहते हैं वैसे ही जो सरदार पटेल को मानने वाले हों, उनको अपने आप को पटेलाइट कहना चाहिए न की पलटू राम। नीतीश कुमार पर राजद के नेता गठबंधन के पहले पलटू राम कह कर हमला बोलते थे लेकिन अब आरसीपी सिंह ने नीतीश कुमार पर पलटूराम कह कर हमला बोला है और कहा कि बहुत जल्द राजनीतिक कार्यक्रम करेंगे और फिर राजनीति क्या होती है ये बताएंगे। कभी नीतीश कुमार के खास रहे प्रशांत किशोर ने भी परिणाम आने के बाद महागठबंधन पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि पूरे भारत में केवल बिहार एक ऐसा राज्य है, जहां नेता बिना कोई काम किए 30 वर्षों से लगातार जीत रहे हैं।

गोपालगंज में भाजपा को जीत दिलाने वाली कुसुम देवी के पति सुभाष सिंह उसी सीट से 4 बार विधायक रह चुके थे। बीजेपी ने पूर्व सहकारिता मंत्री सुभाष सिंह के निधन के बाद उनकी विधवा पत्नी पर अपना भरोसा जताया था, जिस पर वे बखूबी खरी उतरी हैं। कुसुम देवी का मुकाबला राजद के मोहन गुप्ता से था। भाजपा की उम्मीदवार के तौर पर चुनावी राजनीति में उतरने से पहले कुसुम देवी एक घरेलू महिला रही हैं लेकिन जिस तरह से विरासत की राजनीति ने जोर पकड़ा है, उसे देखते हुए भाजपा ने उनको उपचुनाव में उम्मीदवार बनाने का फैसला किया। बहरहाल पति के निधन के बाद पहली बार चुनाव के मैदान में उतरने वाली कुसुम देवी को जनता की नब्ज समझने में महारत अपने अनुभव से मिली है। पति की गैर मौजूदगी में वे ही जनता की समस्याओं को सुनने और फिर सुभाष सिंह की सहायता से उनको हल करने में काफी रुचि लेती रहीं हैं। इससे उनका जनता से काफी गहरा जुड़ाव हो गया था। इसका फायदा उनको इस उप चुनाव में मिला है। कुसुम देवी की शिक्षा कुछ ज्यादा नहीं है। वे केवल मैट्रिक पास हैं। 58 साल की कुसुम देवी का घर गोपालगंज के सदर प्रखंड के ख्वाजेपुर दियारा इलाके में है। इस इलाके में हर साल बाढ़ आती है। बाढ़ के समय कई बार यहां के लोगों को खाने-पीने के समानों की कमी रहती है। ऐसे बाढ़ पीड़ितों की मदद करने के काम में कुसुम देवी हमेशा बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती रहती हैं। लगातार 4 बार विधायक और बिहार के पूर्व सहकारिता मंत्री रहे सुभाष सिंह के निधन के बाद बीजेपी को लोगों की सहानुभूति के वोट भी बटोरने में काफी मदद मिली लेकिन ओबैसी के प्रत्याशी को मिले 12112 वोट और तेजस्वी की मामी इंदिरा यादव को मिले 8853 मत वहां की कहानी बदल सकते थे।
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