विचार आचार
विचार से आचार है बनता ,
आचार से बढ़ता है विश्वास ।
विश्वास से ही कर्म है बनता ,
कर्म से जगे जीवन में आस ।।
आस बढ़ते ही धर्म है बढ़ता ,
धर्म बढ़ते बढ़ जाता रिश्ता ।
रिश्ते में बढ़ते मधुर संबंध ,
रिश्ते उभरते बन फरिश्ता ।।
मानव जीवन बना बहुमूल्य ,
जीवन जियो सदा आस के ।
रिश्ता को फरिश्ता समझो ,
बढ़े नये कदम विश्वास के ।।
आस पर विश्वास टिका है ,
विश्वास पर टिका है आस ।
मिल जाते जब प्यारे रिश्ते ,
बुझ न पाती कभी प्यास ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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