दीपक बनकर जलना होगा

दीपक बनकर जलना होगा

मंजिलों को पाना हो तो तूफानों से लड़ना होगा।
बाधाये मुश्किलें पारकर हौसलों से बढ़ना होगा। 
काले बादल गहराएंगे अंधकार से टलना होगा।
जग रोशन करने को दीप बनकर जलना होगा।

कीर्तिमान कर्मों का लेखा अभिमान तजना होगा। 
रणभूमि में रणयोद्धा को आयुधों से सजना होगा।
जीवन के संघर्षों में पल-पल धीरज धरना होगा। 
लक्ष्य साधकर ही मंजिल को गमन करना होगा। 

प्रेम सरिता मधुरम लगती नेहगंगा में बहना होगा।
सद्भावों के फूल खिलाकर सौहार्द से रहना होगा।
भाईचारा सद्भाव घोल अपनापन फिर लाना होगा।
एकता की डोर बुलंद जग को आज बताना होगा।

संस्कार नई पीढ़ी को घर-घर को महकाना होगा।
आदर्शों का देश हमारा परचम हमें लहराना होगा।
त्याग समर्पण सहयोग बलिदानी जोत जलाना है।
माटी के दीपक रोशन करते पल पल मुस्काना है।

रमाकांत सोनी नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
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