कलमकारों की निष्पक्षता व स्वतंत्रता पर आंच नहीं आने दूंगी - आरती त्रिपाठी

कलमकारों की निष्पक्षता व स्वतंत्रता पर आंच नहीं आने दूंगी - आरती त्रिपाठी

संवाददाता शैलेश तिवारी की खबर |
नई दिल्ली। पिछले दिनों प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की शाखा गुजरानवाला टाउन के सभागार में एक भव्य समारोह का आयोजन हुआ। उसी अवसर पर दिल्ली के कई पत्रकार संगठन जिसमें आइसना के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवशंकर त्रिपाठी, आई.एफ.डब्लू.जे., इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट के महासचिव परमानंद पांडे, भारतीय मीडिया कल्याण संघ के अध्यक्ष राजीव निशाना, डीडी न्यूज़ के संपादक मनीष बाजपेयी, भारतीय महिला प्रेस कॉर्प्स नई दिल्ली की अध्यक्ष शोभना जैन, निस्कोर्ट मीडिया गाजियाबाद की प्रधानाचार्या प्रो. रितु दुबे तिवारी, डीयू पत्रकारिता विद्यालय के निदेशक प्रो. जे पी दुबे सहित कार्यक्रम के आयोजक एवं ब्रह्माकुमारी संस्था के दिल्ली और यूपी, रूस व अन्य देश में सेवाकेन्द्रों की निर्देशिका राजयोगिनी बीके चक्रधारी आदि भव्य कार्यक्रम के प्रतिभागी बने।
कार्यक्रम में आइसना की राष्ट्रीय महासचिव आरती त्रिपाठी ने अपनी मंचीय भाषण में कहा कि यह विश्वविद्यालय संगठन विश्व का आडंबर रहित संगठन है इसके संस्थापक ब्रम्हा बाबा ने शिव बाबा की प्रेरणा से भारत देश के सभी प्रदेशों व उनके अधिकांश जनपदों मे 75000 से अधिक विश्वविद्यालय की शाखाएं स्थापित की हैं और लगभग 140 देशों में शाखाएं सेवारत हैं। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य विश्व को एकजुट करके पुनः रामराज्य स्थापित करना है। करोड़ों की संख्या मे भाई व बहनें इस पुण्य कार्य को सफल बनाने मे निरंतर सेवारत हैं।
भारत देश में विशेष रूप से हम सब पर मानसिक तनाव दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, इस तनाव को कम व दूर आप सभी पत्रकारों की निष्पक्ष, स्वतंत्र, निर्भीक कलम कर सकती है। आप अपनी कलम की शक्ति को पहचानें, आपकी कलम से ही सरकारें बनती व बिगड़ती हैं। यह वही कलम है जिसने महान भारत देश को अंग्रेज़ों से आज़ाद कराने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, कुर्बानी दी व जेल गये और प्रताड़ना सही है और जीवनदान देकर देश को आज़ाद कराने मे अहम भूमिका निभाई है। इस कुर्बानी को नकारा नही जा सकता है। आज निरंकुश शासन व प्रशासन को भी इस कलम के द्वारा ठीक किया जा सकता है। उस समय देश साधनविहीन था। आज़ादी के दिवाने पत्रकार आज़ादी के लिए रातभर जागकर, हाथ से कलम चलाकर समाचारपत्र तैयार करते थे व सुबह हाथ से लिखे समाचारपत्र को झोले में भरकर जन-जन तक पहुंचाने के लिए गांव-गांव पैदल चलकर आज़ादी की ज्योत जलाते थे और संघर्ष के लिए लोगों को प्रेरित करते थे।
दैहिक, दैविक, भौतिक तापा रामराज्य काहू नहीं व्यापा। रामराज्य में सभी सम्पन्न थे व कोई दुःखी नही था। इस समय भी सभी भारतवासी रामराज्य की तरह खुशहाली चाहते हैं, यह तभी संभव होगा जब आपकी लेखनी स्वतंत्र, निष्पक्ष व निडर होगी और इसके लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया का देश में गठन किया गया। यदि कोई आपकी लेखनी में बाधक बनता है तो मैं आरती त्रिपाठी सदस्य प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की तरफ से आपको विश्वास दिलाती हूँ कि आपकी निष्पक्षता व स्वतंत्रता पर कहीं आंच नहीं आने दूंगी बशर्ते आप निर्भीक होकर पी.सी.आई. को अवगत करायेंगे। मैं कार्यक्रम के आयोजक सुशांत भाई व चन्द्रकला बहन व अन्य सभी भाई बहनों का आभार प्रकट करती हूँ कि इस भव्य कार्यक्रम में उपस्थित पत्रकार जगत शिरोमणियों के बीच मुझे सम्मानित करते हुए विचार प्रकट करने का अवसर प्रदान किया। इस कार्यक्रम में पूर्व सम्मानित बु़द्धजीवी वक्ताओं ने कार्यक्रम के विषय व शीर्षक पर विस्तृत रूप से अपने विचार प्रकट किये।
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