महिषासुर बन सब घूम रहे हैं

महिषासुर बन सब घूम रहे हैं

ऋचा श्रावणी
कहां हो मां शैलपुत्री
पाप और अन्याय बढ़ रहा हैं
दुष्टों का दमन कर हे ब्रह्मचारिणी
पुत्र पिता को अब कंधा नहीं देता
फिर भी चुप बैठी हो मां चंद्रघंटा
राक्षस गण करे खूब उपहास
गरज कर दिखा इन्हें मां कुष्मांडा
स्त्री की कोख से बेटियां छीन जाती
इनकी रक्षक बनो हे स्कंद माता
घर सबके टूट रहे हैं
बचा देवी कात्यानी
इज्जत सबकी लूट रही है
कालरात्रि बन अब धरा पर पधारो
सब पापियों का नाश कर
महागौरी तुझे मेरा नमन
सभी सिद्धियों को प्राप्त करती
हे स्धिदात्री तुम्हारी जय हो

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