शिक्षा व्यवस्था में व्यापक सुधार

शिक्षा व्यवस्था में व्यापक सुधार

(डॉ दिलीप अग्निहोत्री-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)

उत्तर प्रदेश में पांच वर्ष पहले भी सरकारी के स्तर पर शिक्षक दिवस मनाया जाता था। इस अवसर पर शिक्षकों को सम्मानित भी किया जाता था। लेकिन तब उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को देश में सम्मान प्राप्त नहीं था। शिक्षा की गुणवत्ता, ढांचागत सुविधा, परीक्षा में नकल और नियुक्ति सभी को लेकर आरोप लगा करते थे। योगी आदित्यनाथ के पूर्व किसी भी भाजपा सरकार को कार्यकाल पूरा करने का अवसर नहीं मिला था। कल्याण सिंह के नेतृत्व में बनी पहली सरकार मात्र सोलह महीने चली थी लेकिन इस अवधि में ही उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा मिली थी। राम प्रकाश गुप्त और राजनाथ सिंह की सरकार ने भी इस प्रतिष्ठा को कायम रखा किन्तु प्रदेश में अन्य पार्टियों की सरकारों में शिक्षा व्यवस्था बदहाल रही। योगी आदित्यनाथ को बदहाल व्यवस्था ही विरासत में मिली थी। इसमें प्रायमरी बेसिक माध्यमिक और उच्च शिक्षा शामिल थी। योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद इस ओर गंभीरता से ध्यान दिया। ऑपरेशन कायाकल्प से प्रायमरी और बेसिक शिक्षा का कायाकल्प किया गया। माध्यमिक और उच्च शिक्षा में भी गुणवत्ता के साथ नकल विहीन परीक्षा सुनिश्चित की गई। शिक्षकों की नियुक्ति में पारदर्शिता से कार्य किया गया। जब किसी प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है, तब शिक्षकों को भी सम्मान मिलता है।

योगी आदित्यनाथ पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने शिक्षण संस्थानों के भवनों की डिजाइन पर विशेष निर्देश दिए। उनका कहना है कि विद्यालयों के भवन भी भारतीय संस्कृति और शौर्य को अभिव्यक्त करने वाले होने चाहिए। उन्होने कहा कि आजादी के पचहत्तर वर्ष पूर्ण होने पर आगामी पच्चीस वर्षों की एक वृहद कार्ययोजना को लेकर कार्य करना होगा।योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारतीय संस्कृति के ‘आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः’ के सूत्र वाक्य को आत्मसात करते हुए उनकी बेस्ट प्रैक्टिसेज को शासकीय संस्थानों में लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों की नैक एक्रैडीटेशन की अद्यतन स्थिति की समीक्षा करते हुए सभी पात्र संस्थानों की तत्काल नैक ग्रेडिंग कराये जाने के निर्देश दिए थे। उन्होने अपने सरकारी आवास पर प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की समीक्षा की थी। उन्होंने कहा था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में ज्ञान के सैद्धान्तिक और व्यावहारिक आयामों का बेहतर समावेश है। यह नीति समाज को स्वाबलम्बन और आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने में सहायक सिद्ध होगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभावी होने से विद्यार्थी किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि उनका व्यावहारिक व तकनीकी ज्ञान भी समृद्ध होगा। विश्वविद्यालयों में स्थानीय समस्याओं पर अन्तर्विषयी शोध कार्यों को प्रोत्साहित किया जाएगा। ग्लोबल सिग्नीफिकेन्ट रिसर्च को बढ़ावा दिया जाएगा।

भारत अभियान स्कीम यूबीए के तहत अधिक से अधिक शिक्षा संस्थानों को ग्रामीण इलाकों से जोड़ने की आवश्यकता है। ग्राम्य विकास से सम्बन्धित पाठ्यक्रमों के संचालन पर विशेष बल देना चाहिए। शिक्षा की गुणवत्ता राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। नई शिक्षा नीति का प्रभावी क्रियान्वयन चल रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिये भारतीय भाषाओं में उच्च शिक्षा जैसे चिकित्सा और प्रौद्योगिकी में शिक्षा सुविधाओं को सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है। सरकार का प्रयास है कि कोई भी भारतीय सर्वश्रेष्ठ ज्ञान, कौशल, सूचना और अवसरों से वंचित ना रहे। भारतीय भाषाओं का विकास केवल एक भावनात्मक मुद्दा नहीं है बल्कि इसके पीछे बहुत बड़ा वैज्ञानिक आधार है। पिछले दो वर्षों से शिक्षा नीति पर सफल कार्यान्वयन चल रहा है। अग्रणी भारतीय उच्च शैक्षणिक संस्थान इस पर भी विभिन्न दृष्टिकोण से इस विषय पर चर्चा कर रहे हैं। शिक्षा मंत्रालय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के साथ मिलकर इस कार्य में योगदान कर रहा है। अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट, मल्टीपल एंट्री एग्जिट, उच्च शिक्षा में बहु अनुशासन और लचीलापन, ऑनलाइन और ओपन डिस्टेंस लर्निंग को बढ़ावा देने का कार्य किया जा रहा है। वैश्विक मानकों के साथ इसे और अधिक समावेशी बनाने, राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे को संशोधित करने, बहुभाषी शिक्षा तथा भारतीय ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा देने पर बल दिया गया है।

कौशल शिक्षा को मुख्य धारा में लाने एवं आजीवन सीखने को बढ़ावा देने जैसी कई नीतिगत पहल की है। कई विश्वविद्यालय पहले ही इस कार्यक्रम को अपना चुके हैं। देश में उच्च शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र केंद्र, राज्यों और निजी संस्थाओं तक विस्तृत है। इसलिए नीति कार्यान्वयन को और आगे ले जाने के लिए व्यापक परामर्श की आवश्यकता है। परामर्श की यह प्रक्रिया क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर चल रही है। बहु-विषयक और समग्र शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार भारतीय ज्ञान प्रणाली शिक्षा का अंतरराष्ट्रीयकरण, डिजिटल सशक्तिकरण तथा ऑनलाइन शिक्षा, अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता, गुणवत्ता, रैंकिंग और प्रत्यायन, समान और समावेशी शिक्षा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए शिक्षकों की क्षमता निर्माण जैसे विषयों पर भी विचार-विमर्श चल रहा है। भारत पुनः विश्वगुरु बनने की दिशा में बढ़ रहा है। वर्तमान समस्याओं के समाधान हेतु विकसित देश भी भारत की तरफ देख रहे हैं। भारत को इस जिम्मेदारी के निर्वाह हेतु अधिक सक्षम बनाना है। नई शिक्षा नीति इसी लक्ष्य के अनुरूप है। भारतीय भाषाओं को पूरा सम्मान और महत्त्व दिया गया। नई शिक्षा नीति में विद्यार्थियों को रोजगार के लिए नहीं बल्कि रोजगार निर्माता बनने पर जोर दिया गया है। ढाई सौ से अधिक फ्री टू एयर चैनल के जरिये गुणात्मक शिक्षा दी जायेगी। डिजिटल यूनिवर्सिटी के माध्यम से भारत के सामान्य घर के बच्चों तक शिक्षा उपलब्ध होगी। राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने कहा था कि वैश्विक डेस्टिनी के अंतर्गत उच्च शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण किये जाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए शिक्षा के साथ शोध और अनुसंधान को भी प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है। इस बार शिक्षक दिवस पर योगी आदित्यनाथ ने माध्यमिक शिक्षा विभाग के पांच पोर्टल पहुंच, पंख, प्रज्ञान, परख और पहचान का शुभारंभ किया। पहुँच पोर्टल में कौन से स्कूल कहां स्थित हैं, शहर के नजदीक कितने स्कूल हैं और नया स्कूल बनाने के लिए कौन सी जगह ठीक रहेगी आदि की जानकारी है। पंख में विद्यार्थियों के करियर गाइडेन्स के लिए इस पोर्टल को विकसित किया गया है। कक्षा दस और कक्षा बारह की परीक्षा को उत्तीर्ण करने के बाद विद्यार्थी अपने भविष्य को बेहतर बनाने के लिए किस विकल्प संबन्धी जानकारी पोर्टल पर होगी। प्रज्ञान में छात्रों को पठन पाठन की सामग्री उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ई लाइब्रेरी पोर्टल और एप प्रज्ञान को बनाया गया है। पोर्टल पर ई-पुस्तकों के विशाल संग्रह के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं, उद्यमिता व स्टार्टअप, एनआईसी ई-ग्रन्थालय एवं उप्र लाइब्रेरी नेटवर्क की जानकारी उपलब्ध है। परख में किस राजकीय विद्यालय में क्या संसाधन हैं तथा विद्यालयों में हो रही गतिविधियों की जानकारी, पर्यवेक्षण एवं निरीक्षण के लिए ‘पंख’ पोर्टल विकसित किया गया है।
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