भगवान शिव और शिवभक्त विद्यपति

भगवान शिव और शिवभक्त विद्यपति

सत्येन्द्र कुमार पाठक
मधुबनी जिला मुख्यालय मधुबनी से 12 किमि एवं पंडौल रेलवे स्टेशन से ३ कि०मी० की दूरी पर भवानी पुर में उगना महादेव मंदिर के गर्भगृह में भगगवन उगणेश्वर शिवलिंग अवस्थित हैं । भगवान् शिव ने शैव भक्त विद्यपति से प्रभावित होकर भगवान उगणेश्वर शिव नौकर उगना के रूप में विद्यापति के साथ रहने लगे थे । विद्यापति के साथ उगना विश्वासी बन गए थे । विद्यापति के साथ उगना राज दरवार में जेठ महीना , रास्ते में कहीं पेड़ पौधे नहीं , परंतु विद्यापति को प्यास लगी थी । विद्यपति ने उगना से कहा कि उगना मुझे बहुत जोड़ों से प्यास लगने के कारण नहीं चल पाउँगा इसलिए कहीं से जल लाकर दो । विद्यपति ने झोला से लोटा निकाल कर उगना की तरफ बढ़ा दिए थे । उगना दूर- दूर तक नजर दौड़ाया कहीं भी कुआं , सरोवर या नदी दिखाई नहीं देने पर उगना झाड़ी के पीछे जाकर अपनी जटा से एक लोटा गंगाजल निकालकर विद्यापति को देते हुए कहा कि आस पास में कहीं भी जल नहीं मिला परंतु जल बहुत दूर से लाया हूँ । प्यास से व्याकुल विद्यपति द्वारा उगना द्वारा जल एक ही सांस में पी गए थे । जल पीने के बाद वे उगना से बोल पड़े कि जल का स्वाद जल नहीं गंगाजल है । , गंगाजल सिर्फ शिव के पास होता है । उगना विद्यापति की प्यास बुझाने के बाद उगना को अपना शिव का रूप में प्रगट होकर गुप्त रखने का विचार दिए थे । विद्यापति की पत्नी शुशीला उगना को काम करने के लिए बोली परंतु उगना को काम करने में कुछ देर हो गया था । उगना के कार्य विलंब |जिस कारण सुशीला उगना को झाड़ू से मारने लगी थी । उगना झाड़ू की मार खा ही रहे थे कि विद्यापति की नजर उन पर पड़ी और अपनी पत्नी सुशीला को डांटने लगे , लेकिन सुशीला झारू से उगना को मारती रही ,। इस पर भावावेश में आकर विद्यापति सुशीला से कहा कि ओ ना समझ नारी , जिसे तुम मार रही हो यह कोई साधारण आदमी नहीं , ये भगवान शिव हैं | यह बात सुन कर उगना वहीँ पर अंतर्ध्यान हो गए । जिस स्थान पर उगना ने अपना शिव का प्रकट रूप विद्यपति को दर्शन दिए थे वह स्थल उगना महादेव व उगणेश्वर शिव लिंग स्थापित हुए कालांतर उगना महादेव विशाल मन्दिर निर्मित है ।
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