श्रीलंका की अंतरराष्ट्रीय परिषद में जागतिक धरोहर स्थलों पर आध्यात्मिक शोध प्रस्तुत !

श्रीलंका की अंतरराष्ट्रीय परिषद में जागतिक धरोहर स्थलों पर आध्यात्मिक शोध प्रस्तुत !

सकारात्मक ऊर्जा प्रक्षेपित करनेवाले धरोहर स्थलों का अवलोकन लाभदायक - महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के शोध का निष्कर्ष

जागतिक स्तर पर हम अयोग्य धरोहर स्थलों का प्रसार कर रहे हैं । हमें सकारात्मक वलयों से युक्त धरोहर स्थलों का चयन कर उनका प्रसार करना चाहिए, जिससे पर्यटक जब इन स्थलों का अवलोकन करेंगे, तब उन्हें नकारात्मकता के स्थान पर स्थलों की सकारात्मकता का लाभ मिल सकेगा, ऐसा प्रतिपादन महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के श्री. शॉन क्लार्क ने किया । वे ‘ग्लोबल एकेडमिक रिसर्च इन्स्टिट्यूट, श्रीलंका’ द्वारा आयोजित ‘दि थर्ड इंटरनेशनल कॉन्फरेंस ऑन हेरिटेज एंड कल्चर’ परिषद में ‘ऑनलाइन’ सम्मिलित होकर बोल रहे थे । श्री. क्लार्क ने ‘जागतिक धरोहर स्थलों से संबंधित पर्यटन : आध्यात्मिक दृष्टिकोण’ यह शोधनिबंध प्रस्तुत किया । महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवलेजी इस शोधनिबंध के लेखक तथा श्री. शॉन क्लार्क सहलेखक हैं । महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय ने वैज्ञानिक परिषदों में प्रस्तुत किया हुआ यह 95 वां प्रस्तुतीकरण था । महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा अभी तक 17 राष्ट्रीय और 78 अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक परिषदों में शोधनिबंध प्रस्तुत किए गए हैं । इनमें से 11 अंतरराष्ट्रीय परिषदों में ‘सर्वोत्कृष्ट शोधनिबंध पुरस्कार’ मिले हैं ।
श्री. क्लार्क ने कहा कि, धरोहर स्थलों का अवलोकन करने का व्यक्ति के वलय पर निश्चित रूप से क्या परिणाम होता है, यह विश्वविद्यालय द्वारा किए गए शोध में स्पष्ट हुआ है । हमने ‘यू.ए.एस.’ उपकरण द्वारा संसार में प्रसिद्ध 5 धरोहर स्थल ‘ताजमहल’, ‘पिरेमिड्स ऑफ गिजा’, इंग्लैंड में स्थित ‘स्टोनहेन्ज’, इटली के ‘लीनिंग टॉवर ऑफ पिसा’ और रोम में स्थित ‘कोलोसियम’ के छायाचित्रों की सकारात्मकता और नकारात्मकता की गणना की । सर्व छायाचित्रों में यू.ए.एस. उपकरण का उपयोग कर अभी तक गणना की गई सर्वाधिक नकारात्मकता दिखाई दी । इन छायाचित्रों में दिखाई दी हुई नकारात्मकता का न्यूनतम वलय २१६ मीटर तथा अधिकतम वलय ४३३ मीटर था । उक्त में से एक भी धरोहर स्थल पर सकारात्मक ऊर्जा दिखाई नहीं दी । इसी प्रकार आंध्रप्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर के छायाचित्र का भी शोध किया गया । इस छायाचित्र के सकारात्मक ऊर्जा का वलय 271 मीटर था तथा नकारात्मक नहीं थी । संसार में कुछ स्थान ऐसे हैं, उदा. गंगा, यमुना ये नदियां, जहां अधिक प्रदूषण होते हुए भी उनकी सकारात्मकता मे कोई बाधा नहीं आती । वर्ष 2019 में प्रयागराज के कुंभमेले के समय राजयोगी (शाही) स्नान के दिन 2 करोड यात्रियों ने पवित्र त्रिवेणी संगम में मंगल स्नान किया । ऐसा होते हुए भी शोध में उनकी सकारात्मकता एक दिन पूर्व की तुलना में बढी हुई दिखाई दी, ऐसा श्री. शॉन क्लार्क ने बताया । सकारात्मक स्थल सकारात्मकता आकर्षित करते हैं, इसलिए वे मंगलमय होते हैं । अतः नकारात्मकता प्रक्षेपित करनेवाले धरोहर स्थलों का अवलोकन करना संभवतः टालना चाहिए, ऐसा निष्कर्ष इस शोध से निकलता है; परंतु यदि अवलोकन करने जाते ही हैं, तो वहां की नकारात्मकता का स्वयं पर प्रतिकूल परिणाम होने से रोकने के लिए उस समय अपने धर्मानुसार नामजप करना चाहिए । श्री क्लार्क ने कहा कि नामजप के कारण हमारे आसपास सूक्ष्म सुरक्षा कवच निर्माण होता है ।
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