देश का कर्ज

देश का कर्ज

         ---:भारतका एक ब्राह्मण.
            संजय कुमार मिश्र 'अणु'
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हम देश का कर्ज चुकायेंगें-
और वंदे मातरम् गायेंगें।।
       केसरिया बतलाता पौरुष,
       सहज-सरल श्वेत कहता है।
       हरा रंग कहती है हरियाली,
       चक्र सदा चलता रहता है।।
       जो मर मिटे राष्ट्र भक्ति पर-
       उनका तो यश हम गायेंगें।।
बस देश मेरा आजाद रहे,
ये शान तिरंगा आन रहे।
रग-रग में देशभक्ति बसे,
आजाद ये हिन्दुस्तान रहे।
इस देश की रक्षा के खातिर-
हम अंतिम मोल चुकायेंगें।।
       देश हमारा बस रहे स्वतंत्र,
       बलिदानियों ने है दिया मंत्र।
      हम रहे न रहे कोई बात नहीं,
      पर रहे अक्षुण्ण ये लोकतंत्र।।
      कभी पीठ नहीं हम दिखायेंगे,
      वंदे मातरम् गायेंगें....गायेंगें।।
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वलिदाद,अरवल(बिहार)८०४४०२.
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