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मुख्तार अंसारी के जानी दुश्मन बृजेश सिंह आए बाहर

मुख्तार अंसारी के जानी दुश्मन बृजेश सिंह आए बाहर

वाराणसी। बाहुबली मुख्तार अंसारी का जानी दुश्मन डॉन बृजेश सिंह 14 साल तक कैद में रहने के बाद आखिरकार जेल से बाहर आ गया है। मुख्तार अंसारी पर हमले के मामले में बुधवार को ही हाईकोर्ट ने बृजेश सिंह को जमानत दी। यूं तो अलग-अलग मुकदमे की सुनवाई के दौरान डॉन बृजेश सिंह 14 साल तक जेल में रहा, लेकिन अगर उसकी पूरी जिंदगी के पन्नों को पलटा जाए तो बृजेश सिंह ने पिछले 36 साल से सामान्य जिंदगी नहीं जी थी। शुक्रवार की सुबह बृजेश सिंह के लिए कुछ खास थी, क्योंकि 14 सालों तक जेल में रहने के बाद हाइकोर्ट से सशर्त जमानत मिलने के बाद गुरुवार की देर शाम जमानत पर रिहा होकर बृजेश सिंह वाराणसी सेंट्रल जेल की चारदीवारी से बाहर निकला, वह भी बगैर किसी कानूनी भय के। जेल से बाहर आते ही डॉन बृजेश सिंह वाराणसी के सिद्धगिरीबाग स्थित अपने आवास रघुकुल भवन पहुंचा। इस बड़े से आलीशन घर में शायद पहली बार सामान्य जिंदगी से बृजेश सिंह रूबरू हुआ। गेट के बाहर बड़ी सी नेम प्लेट पर बृजेश सिंह और उसकी पत्नी अन्नपूर्णा सिंह का नाम लिखा है। दोनों के नाम के साथ एमएलसी लिखा है। वह इसलिए कि भले ही बृजेश सिंह जेल में रहा हो मगर वाराणसी एमएलसी सीट पर उसके परिवार की बादशाहत लंबे समय से है। मौजूदा वक्त में उसकी पत्नी अन्नपूर्णा सिंह इस सीट से एमएलसी हैं। इससे पहले बृजेश सिंह और उससे पहले भी अन्नपूर्णा सिंह ही इस कुर्सी पर काबिज रहे हैं। बृजेश सिंह की जिंदगी ने साल 1986 में करवट ली थी। उस वक्त चंदौली जिले का बलुआ इलाका वाराणसी में आता था। बलुआ के सिकरौरा गांव में 9 अप्रैल 1986 की रात पूर्व प्रधान रामचंद्र यादव और उनके परिवार के सात लोगों की हत्या हो गई। बताया जाता है कि घटनास्थल से कुछ दूर पर बृजेश सिंह घायल अवस्था में पड़ा मिला था। उसके पैर में गोली लगी थी। इसके बाद डॉन बृजेश सिंह गिरफ्तार हुआ और बाद में उसकी जमानत भी हो गई। बस यह आखिरी दिन था, जब शायद सबने बृजेश सिंह को देखा, क्योंकि उसके बाद बृजेश सिंह का नाम तो सुना गया मगर देखा शायद किसी ने नहीं।
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