सिमट गयी हैं माँ और अम्मा, अब मम्मी मॉम का दौर है,
सिमट गये हैं पिता और बापू, अब पापा डैडी का दौर है।
भैया को तो ब्रो बताते, बहना को भी सिस समझाते,
सिमट गये सब रिश्ते नाते, अब अंकल आंटी का दौर है।
ताऊ चाचा मामा नाना, फूफा मौसा कहाँ गये,
मामी नानी बुआ मौसी, ताई चाची कहाँ गये?
खो गया है माँ का आँचल, ममता की गोद गई,
संस्कार संस्कृति सभ्यता, नये दौर में कहाँ गये?
आधुनिक दिखने की चाह, निज स्वार्थ मानव भटकाया,
रिश्तों का संसार बिसराकर, पैसों से रिश्ता बतलाया।
थे संयुक्त परिवार, एक चूल्हे पर सबका खाना बनता,
साझे सुख दुःख छोड़ छाडकर, लघु परिवार अपनाया।
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