करते सब उठा- पटक

कुछ बातें अध्यात्म की कहने का प्रयास किया है 

करते सब उठा- पटक

करते सब उठा- पटक, पाने को संसार,
जाने को इस जगत से, दो गज की दरकार। 

दो गज भी खाली रहे,  बचती मुट्ठी राख,
वह भी तो भू में मिले, प्रकृति का आधार।

जब भी तुम आगे बढ़ो, खुद को लक्ष्य मान,
असीमित खुशियाँ मिलें, जग लगता निस्सार। 

सब ध्यान से मिलता अगर, क्यों दौड़ें ग्यानी लोग,
ध्यान लगा सब बैठते, कर दुनिया का तिरस्कार। 

सेवा ही सबसे बड़ा, प्रभु भक्ति आधार,
निस्वार्थ सेवा करे, पाएं आनन्द अपार। 

डॉ अ कीर्तिवर्धन
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