दिल्ली में अफसरों की नियुक्ति व तबादले के अधिकार पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

दिल्ली में अफसरों की नियुक्ति व तबादले के अधिकार पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। दिल्ली में केंद्रीय प्रशासनिक सेवा क्षेत्र में नियुक्ति और तबादलों के अधिकार को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच कानूनी खींचतान को लेकर दाखिल याचिकाओं पर 5 जजों की संविधान पीठ सुनवाई करेगी। चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कोर्ट में कहा कि जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुआई में पांच जजों की संविधान पीठ गठित कर दी गई है। फिलहाल ये अधिकार केंद्र के पास है। लेकिन दिल्ली सरकार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक केंद्र सरकार यानी उप राज्यपाल को सिर्फ जमीन, पुलिस और लोक आदेश यानी कानून व्यवस्था में अधिकार मिला था। सर्विस मैटर्स पर कोर्ट ने कुछ स्पष्ट नहीं किया तो केंद्र ने उस पर कब्जा जमा लिया।

बता दें कि दिल्ली सरकार और एलजी के बीच जारी खींचतान के मध्य दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार की आबकारी नीति 2021-22 में कथित अनियमितताओं से जुड़े विवाद में उनका नाम घसीटे जाने को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के समक्ष नाखुशी जताई। इसके बाद इन ट्वीट्स को हटा लिया गया।

उपराज्यपाल कार्यालय में सूत्रों ने बताया कि केजरीवाल को लिखे पत्र में सक्सेना ने आम आदमी पार्टी द्वारा किए गए दो बेहद शरारती, भ्रामक और अपमानजनक ट्वीट का हवाला दिया, जिन्हें बाद में हटा लिया गया था। अभी इस मसले पर आम आदमी पार्टी (आप) की प्रतिक्रिया नहीं आई है। सूत्रों ने बताया, ‘‘ट्वीट में जानबूझकर तथ्यों को तोड़ने-मरोड़ने तथा लोगों को गुमराह करने के लिए ‘पूर्व एलजी’ के बजाय एलजी शब्द के साथ उपराज्यपाल वीके सक्सेना की तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया। गौरतलब है कि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने हाल में पूर्व उपराज्यपाल अनिल बैजल पर आबकारी नीति-2021-22 के तहत शहर के अनधिकृत क्षेत्रों में शराब के ठेके खोलने को लेकर अपना रुख बदलने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि इससे कुछ लाइसेंसधारकों को फायदा हुआ लेकिन सरकार के राजस्व को भारी नुकसान हुआ। सिसोदिया ने किसी का नाम लिए बिना कहा था कि आबकारी नीति के क्रियान्वयन से दो दिन पहले 15 नवंबर 2021 को उपराज्यपाल ने अपना रुख बदल दिया था। हालांकि, पहले उन्होंने अनधिकृत क्षेत्र में शराब के ठेके खोलने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। उन्होंने दावा किया उपराज्यपाल (बैजल) ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की अनुमति देने की शर्त लगा दी थी, जिसके कारण शराब के ठेके अनधिकृत क्षेत्रों में नहीं खुल सके और इससे दिल्ली सरकार को करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
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