मन का अंधियारा दूर करो

मन का अंधियारा दूर करो

दीप जला प्रेम प्यार के दिल की बातें भरपूर करो 
सद्भावों के फूल खिला मन का अंधियारा दूर करो

ज्ञान ज्योत जब जलाई उजियारा आया चहूंओर 
बीत गई अंधियारी रातें नवजीवन कि आई भोर 
संस्कार पावन दे सबको राष्ट्र निर्माण जरूर करो 
छोड़ो बीती बातें सारी मन का अंधियारा दूर करो

भागमभाग भरे जीवन में दो पल का भी चैन नहीं 
दिनभर की भागदौड़ है राहत मिले दिन रैन नहीं 
थोड़ा वक्त घरवालों को मुश्किलें चकनाचूर करो 
आनंद भरे मेघ बरसेंगे मन का अंधियारा दूर करो

रिश्ते नाते मतलब के स्वार्थ भरी ये दुनिया सारी 
सद्भावों के फूल खिला दो महके आंगन फुलवारी 
प्यार के मोती लुटाकर खुद को तुम मशहूर करो 
सारा जग रोशनी पाये मन का अंधियारा दूर करो

रमाकांत सोनी सुदर्शन 
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
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