कुछ लोग समस्याओं में जीते


कुछ लोग समस्याओं में जीते

कुछ लोग समस्याओं में जीते, कुछ कुंठाओं में पलते हैं,
सब कुछ अपने पास मगर, ग़ैरों की ख़ुशियों से जलते हैं।
उसका पति अच्छा मेरे पति से, पत्नी ग़ैर की अच्छी लगती,
सुख के भीतर भी दुख खोजें, फिर ख़ाली हाथों को मलते हैं।

ढूँढ रहे सब नकारात्मक, जो कुछ अपने पास नहीं,
उसकी कोई बात न करते, जिसकी औरों को आस नहीं।
जो कुछ अपने पास वह तो, मेरी अपनी क़िस्मत है,
ग़ैरों ने मेहनत से पाया है, इस पर हमको विश्वास नहीं।

कुंठित जीवन हुआ उन्हीं का, नकारात्मक सोच जहॉं,
सदा उसी को सुखमय देखा, सकारात्मक सोच जहॉं।
देखा नहीं कभी जिन्होंने, फुटपाथों का जीवन कैसा,
निर्धन को संतुष्टि में देखा, विचारात्मक सोच जहॉं।

अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ