एक जान हम

एक जान हम

सावन निकले जा रहा,
दिल भी मचले जा रहा।
कैसे समझाये दिलको,
जो मचले जा रहा।
लगता है अब उसको,
याद आ रही उनकी।
जिसका ये दिल अब,
आदि सा हो चुका है।।

हाल ही में हुई है शादी,
फिर आ गया जो सावन।
जिसके कारण हमको,  
होना पड़ा जुदा जो ।
दिल अब बस में नहीं है,
राह देख रहा है उनकी।
कब आये वो यहां पर,
लेने के लिए हमको।। 

कितने जल्दी हो जाता,  
प्यार एक अजनबी से।
मानो उनसे करीब अब,
कोई दूजा नहीं है।
पल भर में कैसे बदल,  
गया ये दिल हमारा ।
अब जी नहीं सकती,
उनके बिना एक दिन।
कर क्या दिया उन्होंने,
जो उनमें शमा गये हम।
दो जिस्म होते हुये भी,
एक जान बन गये हम।।

जय जिनेन्द्र देव 
संजय जैन "बीना" मुम्बई
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ