अब कहाँ मिलेंगे

कथा सम्राट की स्मृति को समर्पित--:

अब कहाँ मिलेंगे 

अब कहाँ मिलेंगे,
वो प्रबुद्ध मुंशी,
कहाँ मिलेंगे,
अब मुंशी प्रेमचंद। 
       अब कहाँ...।

कहाँ ढूंढें हम,
उनसा सा अजायब,
अब कहाँ ढूंढें,
उनसा कहानीकार।
         अब कहाँ...।

अब नहीं लिखता कोई,
उन सा गोदान,
नहीं लिखता कोई हीरा मोती,
उनसा कोई कथाकार। 
          अब कहाँ...।

अब मिलते हैं ,
सर्वत्र भाट,दरवारी,
मिलेते हैं चहुँओर,
भ्रष्टाचारी,भ्रष्टाचार। 
          अब कहाँ...।

अब मिल जाते हैं,
देश का कफन वेचने वाले,
मिल जाते हैं हर जगह,
मानसिंह,जयचंद। 
          अब कहाँ...।

कुछ लोग कर रहे,
देश का कायाकल्प,
कुछ गबन कर,
बन रहे अमीरचंद।
          अब कहाँ...।
       -----0----
     अरविन्द अकेला,पूर्वी रामकृष्ण नगर,पटना-27
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