राजस्थान में जंगल की आग को परम्परागत तरीके से बुझाया

राजस्थान में जंगल की आग को परम्परागत तरीके से बुझाया

जयपुर। भीषण गर्मी में राजस्थान में जंगलों के धधकने का सिलसिला जारी है। रविवार शाम को जयपुर से सटे झालाना के जंगलों में भीषण आग लग गई। आग देखते ही देखते करीब चार-पांच हेक्टेयर में फैल गई। पहाड़ी इलाका होने के कारण वहां दमकल का पहुंचना मुमकिन नहीं था। लिहाजा वन विभाग ने अपनी टीम और स्थानीय लोगों की मदद से परंपरागत विधि से करीब 2 घंटे की कड़ी मशक्कत कर आग पर काबू पाया। आग से काफी सूखी वनस्पति जलकर खाक हो गई। आग लगने के कारणों का अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है। राजस्थान में सूर्य देव के तेवर तीखे बरकरार हैं। इसके कारण प्रदेश में आग की घटनाएं भी बढ़ती जा रही है। कहीं न कहीं आग की घटनाएं सामने आती हंै। जंगलों में भी आग लगने की घटनाएं इस बार तेजी से बढ़ी हैं। रविवार देर शाम को जयपुर के झालाना वन क्षेत्र में खोनागोरियां की पहाड़ी पर आग लग गई। जंगल में आग की सूचना से वन विभाग के अधिकारियों में हड़कंप मच गया। पहाड़ी इलाके में आग लगने की स्थिति में उसे बुझाने के लिये वहां दमकलें नहीं पहुंच पाती है। ऐसे हालात में वन विभाग और स्थानीय लोग उसे बुझाने के लिये परंपरागत विधि काम में लेते हैं। इसके लिये पहले आग की कनेक्टिविटी को तोड़ा जाता है। जहां आग लगी है वह फैले नहीं इसके लिये उसके आसपास के घास को हटा दिया जाता है या फिर खोद दिया जाता है ताकि आग आगे नहीं फैले। उसके बाद पेड़ पौधों की हरी डालियां तोड़कर उससे आग बुझाई जाती है। क्योंकि हरी डालियां जल्दी से आग नहीं पकड़ती है। हालांकि इसमें काफी मैन पावर और समय लगता है लेकिन फिर भी यह कारगर विधि है। आग ज्यादा होने बड़ी होने पर फिर हेलिकॉप्टर से पानी का छिड़काव कर उस पर काबू पाया जाता है। झालाना के जंगलों में लगी आग को भी फॉरेस्टर जोगेंद्र सिंह शेखावत, सहायक वनपाल कृष्ण कुमार मीणा और रक्षा संस्थान के लोकेश यादव समेत वन विभाग के कर्मचारियों ने स्थानीय लोगों के सहयोग से पारंपरिक तरीके से बुझाने में सफलता प्राप्त की।
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