भारतीय कोयले क्षेत्र का बुरा दौर खत्म, अब तेज विकास की ओर अग्रसर हुआ: प्रल्हाद जोशी
माननीय प्रधान मंत्री ने हम सभी को आजादी के 75वें वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक साथ आने और इस अवसर पर आजादी का अमृत महोत्सव मनाने और इसे एक जन आंदोलन के रूप में परिवर्तित करने का आह्वान किया है। भारत के कोयला क्षेत्र में पिछले 8 वर्षों में बड़े विकास और सुधार हुए हैं। भारत का ऊर्जा और औद्योगिक इकोसिस्टम आज असाधारण परिदृश्य देख रहा है। मौजूदा समय में चिलचिलाती गर्मी और हीट वेव, रिकॉर्ड तोड़ तापमान और वैश्विक महामारी के बाद तेजी से आर्थिक सुधार के साथ उद्योगों में तीव्र सुधार से बिजली की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। हमारे आशावादी सुधारों के कारण, आज हम इस स्थिति का सामना करने और चुनौतियों को अवसरों में बदलने के लिए अच्छी तरह से तैयार और आश्वस्त हैं। भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए कोयला क्षेत्र की उपलब्धियां और योगदान महत्वपूर्ण हैं। कोयला ही वह स्रोत है जहां से भारत को ताकत मिलती है।
पिछले आठ वर्षों में रिकॉर्ड संख्या में बिजली के नए कनेक्शन प्रदान करने, औद्योगिक और विनिर्माण क्षेत्र में 24x7 संचालन सुनिश्चित कराने में और अर्थव्यवस्था का शानदार प्रदर्शन के पीछे कोयले ने औद्योगिक रीढ़ की भूमिका निभाई है।
अपारदर्शिता के अंधकार से पारदर्शिता की ओर बढ़े कदम
साल 2014 के बाद से कई नीतिगत पहल और साहसिक कदमों ने भारतीय कोयला और खनिज खनन क्षेत्र को एक जिम्मेदार, टिकाऊ और उद्योग के अनुकूल तरीके से बढ़ने में मदद की है। दशकों से चल रहे भष्ट्राचार और संसाधनों के मनमाने आवंटन को समाप्त करने के लिए 2015 में कोयला खान विशेष प्रावधान अधिनियम बनाया गया था। सीएमएसपी अधिनियम ने इस्पात, सीमेंट और बिजली उपयोगिताओं जैसे क्षेत्रों के लिए कोयले की उपलब्धता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो देश के विकास के लिए आवश्यक है। कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए नीलामी के माध्यम से कोयला खदानों के पारदर्शी आवंटन किया गया। साल 2015 से 2020 के बीच नीलामी के 10 चरणों का आयोजन किया गया है। इन चरणों के माध्यम से 35 कोयला ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी की गई है। कुल 85 कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए-जिनमें नीलामी और गैर-नीलामी ब्लॉक शामिल हैं, जिसकी कुल पीक रेटेड क्षमता (पीआरसी) 440.6 मीट्रिक टन है।
बिजली क्षेत्र को कोयले की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, सरकार ने 2017 में भारत में पारदर्शी रूप से कोयला के दोहन और आवंटन की योजना (शक्ति) नीति शुरू की। कोयले के दक्षतापूर्ण और कुशल वितरण के लिए शक्ति नीति के तहत बिजली क्षेत्र को कोल लिंकेज दिया गया।
एक नए युग की शुरुआत: वाणिज्यिक कोयले की नीलामी शुरू
माननीय प्रधान मंत्री ने 2020 में वाणिज्यिक कोयला खनन के लिए नीलामी का शुभारंभ किया। वाणिज्यिक कोयला की नीलामी का शुभारंभ पारदर्शिता के साथ शुरू किया गया। साथ ही यह ध्यान रखा गया है कि इस क्षेत्र में कारोबार करने वाले कारोबारियों को कोई परेशानी नहीं हो और निवेश के अवसर भी बढ़े। ये पूरी कवायद इस क्षेत्र को कायाकल्प करने वाली थी। कोयले के उपयोग के लिए अंतिम उपयोग का प्रतिबंध हटा दिया गया। इस क्षेत्र में अधिक निवेश को आकर्षित करने और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के लिए 100% एफडीआई की अनुमति दी गई। साल 2020 में किए गए सुधारों के परिणामस्वरूप निजी भागीदारी के साथ कोयले के लिए एक मुक्त बाजार का निर्माण हुआ, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ी और अधिक दक्षता आई। कोयला क्षेत्र के विकास और नियमन की दिशा में पहली बार कई प्रक्रियात्मक परिवर्तन भी पेश किए गए, जैसे प्रारंभिक उत्पादन के लिए 50% छूट का प्रोत्साहन, एकल बोली की अनुमति, आसान प्रवेश मानदंड आदि। जून 2020 में वाणिज्यिक कोयले की नीलामी शुरू होने के बाद से, 4 चरणों को पूरा किया जा चुका है। अब तक 47 ब्लॉकों की नीलामी की जा चुकी है, जिनकी अधिकतम क्षमता 101.5 एमटीपीए है। ये ब्लॉक लगभग 11,172 करोड़ रुपये राजस्व और 1.17 लाख से अधिक लोगों के लिए संभावित रोजगार पैदा करेंगे। कैप्टिव कोयला उत्पादकों को अपने अंतिम उपयोग संयंत्रों की मांग को पूरा करने के बाद अपने उत्पादन का 50% खुले बाजार में बेचने की अनुमति दी गई है।
जवाबदेही के साथ खनन: मिशन कोल गैसीकरण और हरित पहल
सरकार इस बात को लेकर भी सचेत है कि जहां कोयला देश में ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत बना रहेगा, वहीं स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी और विविधता ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है। हम पर्यावरण की दृष्टि से देश में खनन गतिविधियों को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। माननीय वित्त मंत्री द्वारा इस वर्ष अपने बजट भाषण के दौरान 4 पायलट परियोजनाओं की घोषणा के बाद राष्ट्रीय कोयला गैसीकरण मिशन को एक निश्चित दिशा मिली। अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने और कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए, कोयला गैसीकरण और द्रवीकरण के लिए अपने कोयले का उपयोग करने वाले सफल बोलीदाताओं के लिए 20% की छूट को बढ़ाकर 50% कर दिया गया। कोयला सार्वजनिक उपक्रमों ने 2030 तक लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये की निवेश योजना, नए व्यावसायिक क्षेत्रों, स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकियों और नई खदान विकास परियोजनाओं के लिए बनाई है। एनएलसी इंडिया 1 गीगावॉट से अधिक की सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता हासिल करने वाली देश की पहली सीपीएसई है। अब तक, कोयला/लिग्नाइट क्षेत्र में काम करने वाले सरकारी उपक्रमों ने लगभग 10 करोड़ पेड़/पौधे लगाए हैं।
सुधारों का सिलसिला जारी
हाल ही में उठाए गए एक और कदम के तहत, सार्वजनिक उपक्रमों को गैर-परिचालन कोयला खदानों को बिना दंड के छोड़ देने के लिए वन टाइम विंडो दी गई है। केंद्र/राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा लगभग 16 कोयला ब्लॉकों को मुक्त किया जाएगा। एक अन्य महत्वपूर्ण सुधार में ई-नीलामी का विलय और एकल ई-नीलामी विंडो के माध्यम से कोयले की पेशकश शामिल है। 5 प्रकार की ई-नीलामी विंडो को एक साथ मिला दिया गया। रेल मोड के माध्यम से होने वाले डिफ़ॉल्ट विकल्प के साथ प्रस्तावित कोयले को परिवहन मोड बनाया गया है। खनन की गई भूमि का उपयोग करने के लिए जो कोयला खनन के लिए अनुपयुक्त है, हमने सीबीए अधिनियम के तहत अधिग्रहित भूमि के सर्वोत्तम उपयोग के लिए नीति को मंजूरी दी। इस नीति में कोयला और ऊर्जा से संबंधित बुनियादी ढांचे के विकास और स्थापना के उद्देश्य से ऐसी भूमि के उपयोग का प्रावधान है। यह नीति से विभिन्न कोयला और ऊर्जा अवसंरचना विकास गतिविधियों के लिए भूमि की आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी जो देश के पिछड़े क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहित करेगा। इन सब हालिया सुधारों के साथ, और कई सुधार के कार्यक्रम चल रहे हैं। कोयला क्षेत्र अपने रास्ते में आने वाली सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है और भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
इन सुधारों के परिणामस्वरूप कोयला खनन क्षेत्र आज बिल्कुल बदल गया है। पिछले 8 वर्षों में घरेलू कोयला उत्पादन में 37.3% की वृद्धि हुई है और घरेलू कोयला खरीद में 43% की वृद्धि हुई है। घरेलू कोयला उत्पादन वित्त वर्ष 2021 में 716 मीट्रिक टन से बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में 777 मीट्रिक टन हो गया है, जो 8.5% की वृद्धि है। इसी अवधि के दौरान कैप्टिव खानों से कोयले का उत्पादन 66 एमटी से बढ़कर 86 एमटी हो गया है, जो 30% की वृद्धि है। घरेलू कोयला खरीद वित्त वर्ष 2021 में 691 मीट्रिक टन से बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में 818 मीट्रिक टन हो गया है, जो 18.4% की वृद्धि है। माननीय प्रधान मंत्री के नेतृत्व में भारत के कोयला क्षेत्र ने बीते 8 साल अभूतपूर्व वृद्धि देखी है और बहुत ही बुरे वक्त से बाहर निकल गया है जो इस क्षेत्र पर लंबे समय से ग्रहण की तरह लगा हुआ था।
(लेखक केंद्रीय कोयला, खान एवं संसदीय कार्य मंत्री हैं)
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