तेरे मिलने से
आये हो जब से तुम
मेरे जीवन में प्रिये।
बदल गया है मेरा
सच में ये जीवन।
बदलने लगे है अब
मेरे को सुनने वाले।
जब से आया है
मेरे गीतों में स्वर-ताल।।
बड़ी मुद्दत के बाद
आया है ये निखार।
दिया ज्ञान की देवी ने
जब मुझे ये वरदान।
तभी से खुलकर मैं
अब आलापे लेता हूँ।
और हर एक स्वर को
पकड़ता हूँ नजदीक से।।
हुआ ये सब कुछ तबसे
जबसे आये हो संग में।
बहुत मेहसूस हो रहा
सुखद जीवन का आंनद।
व्यां मैं कर नहीं सकता
इसे अपने शब्दो में।
मेरे लिए तो तुम हो
जिंदगी का एक वरदान।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबईहमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
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