बाबा महेंद्र नाथ धाम
जय प्रकाश कुँवर
बिहार प्रदेश के सिवान जिले के मेहदार नामक गांव में बाबा महेंद्र नाथ का शिव मंदिर स्थित है ! शिव मंदिरों में बाबा महेंद्र नाथ मंदिर का स्थान आज उत्कृष्ट स्थान पर है ! यह प्राचीन शिव मंदिरों में से एक है ! मंदिर के अलावा वहां वृहत रूप में फैला सरोवर सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र है ! अब तो वहां देश विदेश से भी पर्यटक आने लगे हैं
इस शिव मंदिर का अपना इतिहास है जो विभिन्न माध्यमों , प्रवचनों तथा मान्यताओं आदि के माध्यम से जानने सुनने को मिलता है ! कहा जाता है कि 17वीं शताब्दी में नेपाल के राजा महेंद्र वीर कुष्ठ रोग से ग्रसित हो गए थे ! वह रोग मुक्ति हेतु वाराणसी गंगा स्नान के लिए जा रहे थे! उनका रास्ता इसी स्थान से होकर गुजरता था ! उस समय उस स्थान पर घना जंगल था ! यात्रा के दौरान वह इस जंगल में इस स्थान पर एक पीपल के वृक्ष के नीचे आराम कर रहे थे तभी उनको बहुत तेज प्यास का अनुभव हुआ ! उन्होंने अपने आदमियों से जल लाने को कहा ! जंगल में इधर-उधर भटकने के बाद भी पीने के जल का कोई स्रोत उनके आदमियों को नहीं मिल सका तो वह लाचारी में एक गड्ढे का मैला जल पात्र में भरकर ले आए ! राजा ने जैसे ही उस जल को हाथ से छुआ उनके हाथ का कुष्ठ रोग ठीक हो गया ! इस पर उन्होंने अपने आदमियों से जल के ठिकाने के बारे में पूछा ! उनके आदमी पहले तो डर गए पर बार-बार पूछने पर राजा को जल के गड्ढे के पास ले गए! राजा ने उस गड्ढे के जल से स्नान किया और उनके शरीर का कुष्ठ रोग पूर्ण रूप से ठीक हो गया
ऐसा कहा जाता है की उस रात में उनको स्वप्न में शिव जी का दर्शन हुआ और शिव जी के आदेश वचनों अनुसार राजा ने उस पीपल के वृक्ष के स्थान पर खुदाई करवाई ! खुदाई में वहां से एक शिवलिंग निकला ! अब राजा ने उस स्थान पर एक मंदिर का निर्माण करवाया और मंदिर में उस शिवलिंग की स्थापना करवाई ! आज वही नेपाल नरेश द्वारा स्थापित बाबा महेंद्र नाथ हैं और महेंद्र नाथ मंदिर है ! अब यह जगह महेंद्र नाथ धाम के नाम से मशहूर हो गया है ! यह बिहार के एक पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित हो गया है! महाशिवरात्रि के दिन तो यहां लाखों की तादाद में शिव भक्त भगवान शंकर का जलाभिषेक करने और रुद्राभिषेक करने आते हैं ! यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहता है ! अब यहां महाशिवरात्रि , दशहरा आदि के समय बहुत बड़ा मेला लगता है ! अब यहां साल के 12 महीने मेला जैसा माहौल और पर्यटकों का हुजूम लगा रहता है !
राजा ने मंदिर के समीप एक विशाल सरोवर भी खुदवाया! आज हजारों लोग इस सरोवर में स्नान करते हैं और बाबा महेंद्र नाथ का दर्शन पूजन करते हैं ! ऐसी मान्यता है कि इस तालाब में स्नान करने से चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है ! यह तालाब लगभग ५५० बीघे में फैला हुआ है ! इस तालाब को कमलदह सरोवर के नाम से जाना जाता है ! ऐसा भी कहा जाता है कि इस तालाब की खुदाई राजा ने कुदाल से न कराकर इसकी खुदाई हल बैल से करवाई थी ! उस स्थान पर राजा सोने के सिक्के छिटवा दिया करते थे और आसपास के गांव के लोग उसे प्राप्त करने के लिए हल बैल से जुताई करके सिक्के प्राप्त किए और इस प्रकार लगभग५५० बीघे की जमीन की जुताई करके वह सरोवर तैयार कर दिया !
नवंबर दिसंबर के महीने में सरोवर में कमल खिलते हैं और अनेक प्रकार के प्रवासी पक्षी भी वहां आते हैं जो अपने प्रवास के दरमियान दो-तीन महीने वहां रहते हैं ! कुछ समय पहले तक सरोवर जलकुंभी से पूर्ण रूप से ढक गया था जिसे बिहार सरकार एवं लोकल वासियों ने प्रयास करके साफ करने की कोशिश की लेकिन पूर्ण रूप से सफाई अब भी नहीं हो पाई है ! बिहार सरकार अगर एक ऊंचे दर्जे का पर्यटन स्थल इस महेंद्र नाथ धाम को बनाना चाहती है तो इस पूरे सरोवर की सफाई करानी पड़ेगी और जलकुंभी से पूर्ण रूप से सरोवर को निजात दिलाना पड़ेगा ! साथ ही तालाब के चारों तरफ पक्का परिक्रमा पथ बनवाने की जरूरत है जो पर्यटकों तथा सरोवर के परिक्रमा के लिए मन्नत करने वालो के सरोवर के परिक्रमा के दरमियान सुविधाजनक हो सके ! इतना बड़ा सरोवर बिहार प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश में कहीं देखने को नहीं मिलता है!
ऐसा कहा जाता है कि कुछ लोग किसी फल प्राप्ति के लिए इस सरोवर के परिक्रमा की मन्नत करते हैं और सरोवर का परिक्रमा पूर्ण करते हैं ! परंतु परिक्रमा तभी सफल होती है जब उनका मन बाबा महेंद्र नाथ पर पूर्ण रूप से टिका रहता है और उनका नाम स्मरण करते हुए परिक्रमा करते हैं ! बल घमंड तथा अहम में आकर परिक्रमा करने वालों की परिक्रमा सफल नहीं होती है और वे परिक्रमा के रास्ते में थक कर बैठ जाते हैं ! बाबा महेंद्र नाथ के अलावे अब वहां अनेक देवी देवताओं के मंदिर भी बने हुए हैं जिसमें लोग उनकी पूजा अर्चना करते हैं ! यह एक पर्यटन स्थल के अलावे अब एक धाम बन गया है
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