दिल के करीब हो

दिल के करीब हो

दूर होकर भी तुम कितने 
मेरे दिल के करीब हो। 
तुम मेरे लिए एक दोस्त से 
कुछ ज्यादा मेरे लिए हो। 
तो क्या मेरी तमन्ना तुम 
पूरी नहीं कर सकते।
और चाहने वाले को क्या
अपना दिल नहीं दिखा सकते।। 

जिक्र दोस्ती का करते है
तब तब तुम्हें याद करते है। 
अच्छे हो या बुरे हो तुम पर
मेरे दिलके बहुत करीब हो। 
इसलिए कैसे भूल सकते है 
अपने जीते जी तुम्हें दोस्त। 
पर जब तुम नाराज हो जाते हो
तब उसमें खता मेरी ही होती है।। 

प्यार मोहब्बत जिंदगी के लिए
बहुत जरूरी है। 
पर क्या दोस्त का कोई 
फर्ज दोस्ती के लिए नहीं है। 
जो अपने दोस्त को थोड़ी
खुशी इस जिंदगी में दे सके। 
और अपने प्यार की रहमत
अपने मित्र पर बरसा सके।। 

जय जिनेंद 
संजय जैन "बीना" मुंबई
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ