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बन गये तीर्थस्थल

बन गये तीर्थस्थल

जहाँ जहाँ पर पड़े रहे है 
तेरे पग हे विद्या गुरुवर। 
स्वयं बनते जा रहे 
वो क्षैत्र सब तीर्थ स्थल। 
जहाँ से भी गुजरते हो गुरुवर
वहाँ पर हरियाली हो जाती है। 
न जाने कितने लोगों के
तेरे दर्शन मात्र से। 
उनके सारे कष्ट और रोग
स्वयं ही मिट गये।
और स्वस्थ्य प्रसन्नचित होकर रोज
गुरु और देव दर्शन करने लगे।। 


गुरु की वाणी का असर
सभी पर बहुत पड़ता है। 
क्या मानव और जीवजंतु
और वृक्षों पर भी पड़ता। 
तभी तो ये सब भी
गुरु चरणों में समर्पित है। 
और अपनी स्वाभाव अनुसार
गुरु की सेवा करते है।
जिसका इन्हें सदा ही
मीठा फल मिलता रहता है। 
इसलिए चारों दिशाओं में
ये भी रंग विखेर रहे है।। 

दिये है जग को विद्यासागर ने
समय योग क्षमा और सुधासागर 
जैसे मुनिवर। 
जो चारों दिशाओं में 
धर्म की ज्योत जला रहे है। 
और अहिंसा परमो धर्मा का
पाठ दुनियां को पढ़ा रहे है। 
लोगों को आत्मकल्याण का
मार्ग इस जग में दिखा रहे है। 
इसलिए जगह जगह ये मुनिवर
प्रतिभा स्थली भाग्योउदय के साथ। 
जीव सुरक्षा के लिए गाऊँशालायें
जगह जगह खुलवा रहे है।। 
और जीओ और जीने दो का
पाठ दुनियां को पढ़ा रहे है।। 

जय जिनेंद्र 
संजय जैन "बीना" मुंबई
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