शेर-ओ-शायरी में छिपी सियासत

शेर-ओ-शायरी में छिपी सियासत

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
पंजाब में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिद्धू अब शेर-ओ-शायरी के जरिए अपने इरादे प्रकट कर रहे हैं। उनके चलते ही कांग्रेस अपनी सरकार गंवा चुकी है और अब उसकी स्थिति उसी तरह के पश्चाताप की है जैसी चिड़ियों के खेत चुग जाने के बाद किसान की होती है। कांग्रेस अब उनसे छुटकारा चाहती है लेकिन सिद्धू को कोई नया घर नहीं मिल रहा है। विधानसभा चुनाव से पहले उनको आम आदमी पार्टी में जगह मिल सकती थी लेकिन अब पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के बाद भगवंत मान अपने दरबार में लस्सी तो पिला सकते हैं लेकिन कुर्सी नहीं दे सकते। नवजोत सिद्धू ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) से भी सम्पर्क किया लेकिन पीके ने कांग्रेस से जुड़ने से ही इनकार कर दिया है। इतना तो साफ है कि नवजोत सिद्धू पीके से जुड़ना चाहते हैं। इसके बाद ही 2 मई को कांग्रेस के पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश चैधरी ने पार्टी हाईकमान को चिट्ठी लिखकर पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की गतिविधियों पर एक्शन लेने की सिफारिश की है। राज्य के नये अध्यक्ष अमरिंदर सिंह बरार भी अब नवजोत सिद्धू को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। सिद्धू पर पार्टी लाइन के खिलाफ चलने का आरोप है।

पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की राजनीति कांग्रेस में लगभग खत्म हो गई है और अब वह सियासत के लिए नया घर तलाशने में लगे हैं। पार्टी सूत्रों की मानें तो पार्टी अनुशासन के विपरीत काम करने के चलते कभी भी सिद्धू पर कार्रवाई हो सकती है। इससे पहले सिद्धू पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से मिल सकते हैं। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि वह अपने राजनैतिक भविष्य की अगली बाजी को लेकर भगवंत मान से मिल रहे हैं। नवजोत सिंह सिद्धू के बारे में पहले सभी को लगता है कि उनकी अपने स्वभाव और बोली के कारण पार्टी में किसी नेता से नहीं बनती, लेकिन इससे कोई फर्क नही पड़ता क्योंकि लोग उन्हें पसंद करते हैं और वह उनके साथ हैं। हालांकि 2022 के विधान सभा चुनावों में सिद्धू की यह पोल खुल गई और उनकी विधायकी छिन गई। इसके साथ ही नवजोत सिद्धू का मुख्यमंत्री बनने का सपना तो टूट ही गया पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष पद भी गंवाना पड़ा। नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से मिलने जा रहे हैं, इस बात की जानकारी सिद्धू ने खुद ट्वीट कर लोगों को दी और बताया कि यह मुलाकात पंजाब की आर्थिक हालातों पर चर्चा के लिए है। हालांकि कांग्रेस पार्टी के सूत्र यह कयास लगा रहे हैं कि सिद्धू का सियासी भविष्य कांग्रेस में खत्म हो सकता है कि वह अपने राजनैतिक भविष्य की अगली बाजी को लेकर भगवंत मान से मिल रहे हैं। बता दें कि भगवंत मान से मुलाकात से पहले सिद्धू ने दो शायरी शेयर कर इशारों ही इशारों में अपनी बात रखने की कोशिश की। पहले ट्वीट में सिद्धू ने लिखा, हमारी अफवाहों का धुआं वहीं से उठता है, जहां हमारे नाम से आग लग जाती है। फिर एक घंटे बाद सिद्धू ने दूसरा ट्वीट किया और लिखा, करते तो दोनो ही थे। हम कोशिश, वो साजिश। हालांकि सिद्धू का निशाना किस पर है, इसको लेकर उन्होंने कुछ स्पष्ट नहीं किया। कांग्रेस हाईकमान नवजोत सिंह सिद्धू से काफी खफा है, क्योंकि पार्टी के सीनियर नेताओं ने पार्टी अनुशासन के विपरीत काम करने को लेकर सिद्धू के खिलाफ लंबी चैड़ी शिकायत की है, जिस पर पार्टी कभी भी एक्शन ले सकती है। सिद्धू, कैप्टन अमरिंदर सिंह और चरणजीत चन्नी से लेकर सुखजिंदर रंधावा, सुनील जाखड़ और पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग तक सभी को लेकर बयानबाजी करते रहे हैं।

पंजाब विधान सभा चुनाव में हार के बाद प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब कांग्रेस के पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश चैधरी ने पार्टी हाईकमान को चिट्ठी लिखी है और नवजोत सिंह सिद्धू की गतिविधियों को लेकर एक्शन लेने की बात की है। नवजोत सिंह सिद्धू का मामला कांग्रेस भी अनुशासन समिति में पास है। पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश चैधरी और प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह बरार ने पार्टी हाईकमान और अनुशासन समिति को चिट्ठी लिखकर कार्रवाई करने की मांग की है। इससे पहले सुनील जाखड़ और केवी थॉमस के खिलाफ पार्टी विरोधी गतिविधि करने के लिए कार्रवाई की गई थी। नवजोत सिंह सिद्धू लगातार पार्टी लाइन के खिलाफ चल रहे हैं और इसको लेकर पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह बरार (राजा वाटिंड) ने उन्हें नोट भी लिखा है। पार्टी हाईकमान को लिखे पत्र में कांग्रेस के पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश चैधरी ने लिखा, पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा ने नवजोत सिंह सिद्धू की पार्टी विरोधी गतिविधियों के बारे में नोट लिखा है। राज्य में पार्टी का इंचार्ज होने के नाते मैंने भी पाया है कि नवंबर से लेकर अब तक सिद्धू लगातार कांग्रेस के फैसलों पर सवाल उठाते रहे हैं। उन्होंने अपने बयानों से पार्टी के खिलाफ गलत माहौल तैयार किया है। पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी ने नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया था। इसके बाद कांग्रेस हाईकमान ने अमरिंदर सिंह बरार (राजा वाटिंड) को पंजाब कांग्रेस का नया अध्यक्ष नियुक्त किया था, जो पंजाब की चरणजीत सिंह चन्नी सरकार में ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर रह चुके हैं। इसके साथ ही इस बार के विधान सभा चुनाव में गिद्दड़बाहा से विधायक चुने गए हैं। इसके बाद सिद्धू पीके की तरफ बढ़े चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों पर विराम लगा दिया और पार्टी में शामिल होने और चुनावों की जिम्मेदारी लेने के कांग्रेस के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। प्रशांत किशोर के इस फैसले के बाद पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने उनसे मुलाकात की और प्रशांत किशोर के साथ एक फोटो शेयर करते हुए उन्हें पुराना दोस्त बताया नवजोत सिंह सिद्धू ने प्रशांत किशोर के साथ एक फोटो शेयर करते हुए ट्वीट किया, मेरे पुराने दोस्त पीके के साथ एक शानदार मुलाकात हुई। पुरानी शराब, पुराना सोना और पुराने दोस्त अभी भी सबसे अच्छे हैं। प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर कहा, मैंने कांग्रेस पार्टी में शामिल होने और चुनावों की जिम्मेदारी लेने के कांग्रेस के उदार प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है। साथ ही उन्होंने कहा, मेरी विनम्र राय है कि परिवर्तनकारी सुधारों के माध्यम से गहरी जड़ें जमाने वाली समस्याओं को ठीक करने के लिए पार्टी को मुझसे ज्यादा नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की जरूरत है। कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की है कि किशोर पार्टी के लिए काम नहीं करेंगे, क्योंकि उन्होंने 2024 के आम चुनावों के लिए अधिकार प्राप्त कार्य समिति का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया है। कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा, प्रशांत किशोर के साथ बैठक और बातचीत के बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने लोक सभा चुनाव 2024 को ध्यान में रखते हुए एक समिति का गठन किया था। इस समिति के लिए प्रशांत किशोर को सदस्य के रूप में पार्टी में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। हम पार्टी को दिए गए उनके सुझावों की सराहना करते हैं। कांग्रेस के पीके को लेकर सच्चाई को समझ गये हैं लेकिन सिद्धू ‘अलि गुलाब के मूल’ की तरह लटके हुए हैं।
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