कॉन्वेंट विद्यालयों में ईसाई पंथ की शिक्षा देना, विविध माध्यमों से धर्मांतरण करना यह पहले से ही हो रहा है । स्वतंत्रता के पूर्व से कॉन्वेंट विद्यालयों में निश्चित रूप से क्या पढाया जाता है ?, क्या देश के संविधान का पालन कर वहां शिक्षा दी जाती है ?, इसकी जांच अभी तक किसी सरकार ने नहीं की है । कॉन्वेंट विद्यालयों के आर्थिक स्रोत क्या हैं ? कम से कम वर्तमान केंद्र सरकार को तो धर्मांतरण के केंद्र बने कॉन्वेंट विद्यालयों की जांच करनी चाहिए, ऐसी मांग भारतीय सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी कर्नल राजेंद्र शुक्ला ने की । हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित 'ईसाई कॉन्वेंट कि धर्मांतरण के केंद्र ?' इस ऑनलाइन विशेष संवाद में वे बोल रहे थे ।
तेलंगाना की 'क्रिश्चन स्टडीज' की अध्ययनकर्ता इस्टर धनराज ने कहा कि, भारत में आई हुई ईस्ट इंडिया कंपनी के समय से अभी तक ईसाई मिशनरियों द्वारा स्थापित कॉन्वेंट विद्यालयों में हिन्दू विद्यार्थियों का धर्मांतरण करना, यह एक ही लक्ष्य रहा है । हिन्दू विद्यार्थियों का धर्मांतरण कर ईसाई जनसंख्या बढ़ाना, हिंदुओं को अल्पसंख्यक करना, ऐसी केरल के समान देश की स्थिति करने का प्रयत्न वे कर रहे हैं । दिल्ली की लेखिका डॉ. रिंकू वढेरा ने कहा कि, भारत की स्वतंत्रता से पूर्व काल से ईसाई मिशनरियों ने हिन्दू परंपरा नष्ट करने के लिए भारत की शिक्षा व्यवस्था में प्रवेश किया । देशभर में उनका जाल फैला हुआ है तथा आज भी अभिभावक समझ रहे हैं कि कॉन्वेंट विद्यालयों की शिक्षा ही उत्तम है; परंतु पहले की तुलना में अब हिन्दू अभिभावक जागरूक हो रहे हैं तथा ऐसे विद्यालयों की अनुचित बातों का विरोध भी कर रहे हैं ।
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