हर घर में तमासा हे

हर घर में तमासा हे


गाँमें गाँमें  मातम
सब खार में चिपरी हे
दाने दाने माजुम। 

ऊ बोल के  मतलब का
जे में न  दही चन्नन
बरसात इया जाड़ा
हे जेठ निअन मौसम। 

जखनी जखनी  पछेआ
माथे में समा जाहे
आँधी पानी ले ले
बिछ जाहे कने सावन। 

मंतर के करेजा मे
जे पीर भरल उमड़े
लतरा के भरम अइसन
पसरे खदबद आँगन। 

कुछ बात हे जिनगी के
उसका -उसका बरजे
दिन रात गिने  अँगुरी
मिलतइ पीअर आसत।
रामकृष्ण
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