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भारतका परिचय मत पुछो..

भारतका परिचय मत पुछो..

        ---:भारतका एक ब्राह्मण.
          संजय कुमार मिश्र'अणु'
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भारतका परिचय मत पुछो-
     ये भुमि नहीं भवानी है।।
जिसकी गौरव गाथा अनंत-
    कहती सभ्यता पुरानी है।।
      ये भुमि नहीं भवानी है।।
शस्यश्यामला जिसकी धरती,
कलकल करती प्यारी नदियाँ,
नव-नव रुप जहाँ प्रकृति कि-
औ अनुपम कथा कहानी है।।
       ये भुमि नहीं भवानी है।।
गिरीराज हिमालय खडा अटल,
पावन गंगा बहती कलकल,
पीकर हो जाता है पूर्ण स्वस्थ-
चाहे जैसा कोई हो  निर्बल,
 कहते हैं सब अमृत उसको-
 जबकि दिखता वो पानी है।।
      ये भुमि नहीं भवानी है।।
देवत्व जहाँ पर करे वास,
देता अधरों पर मंद हास,
मस्ती मे जीते लोग जहाँ-
भुलकर सारा गम खटास,
है भाव-भरा सारा जीवन-
न तनिक कोई परेशानी है।।
    ये भूमि नहीं भवानी है।।
चरणों को सागर धोता है,
तप तन श्रम-जल खोता है,
हो जाती प्रज्ञा बहुत बडी-
जो खुदको यहाँ डूबोता है,
इस सा'धन कुछ और नहीं-
कहती दादी औ नानी है।।
   ये भूमि नहीं भवानी है।।
सभ्यता रही है बहुत बडी,
मानवता के हित सदा खडी,
इसका वैभव इसकी बुद्धि-
सबकी आंखों में गडी पडी
सिंह शावक से खेला करते-
जिनके बच्चे अभिमानी है।।
      ये भुमि नहीं भवानी है।।
है देश ये वीर बलवानों का,
त्यागी बडभागी जवानों का,
जो देता अरिको प्रत्युत्तर-
बनता अमर बलिदानी है।।
    ये भूमि नहीं भवानी है।।
आओ इसका कर लें वंदन,
मिट्टी को समझ पावन चंदन,
हम हैं विश्व शांति के अग्रदूत-
हरनेको आये सबका क्रंदन,
ये कैसी है मस्त हवा देखो-
जिसकी न कहीं कोई सानी है।।
          ये भुमी नहीं भवानी है।।
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वलिदाद,अरवल(बिहार)804402.
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