वाह वाही लूटने लगे
छा गए बड़े मंच पर लेकर शब्दों के माया जाल।
हथकंडों से शोहरत पा छवि बनाई बड़ी कमाल।
वाकपटुता के माहिर हो वाह वाही लूटने लगे।
प्रसिद्धि के चक्कर में तार दिलों के टूटने लगे।
अपार जनसमूह सारा चलती हास्य की फुहार।
व्यंग्य बाण तीर चले संचालक कर में पतवार।
ऊंचाइयों के स्तर तक कवि सम्मेलन चलते रहे।
दो चार को छोड़कर बाकी कवि हाथ मलते रहे।
समय का अभाव कहकर संचालक भी चल पड़ा।
बुला लिया यह कहकर कार्यक्रम होगा बहुत बड़ा।
अक्सर ऐसा मंचों पे कवियों के साथ होता आया।
आयोजक संयोजक की सेटिंग का चक्कर पाया।
कुशल कवि रह जाते और चाटुकार चल जाते हैं।
चंद चुटकुले लेकर माहिर कवि मंच पर आते हैं।
कविता का रूप निखरा शब्दबाणों की बरसात।
गीत गजल मुक्तक छुप गए हास्य में कट गई रात।
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थानहमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews
https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com