 वह वर्ष गया  -  यह वर्ष नया
वह वर्ष गया  -  यह वर्ष नया
  सच्चिदानन्द प्रेमी
रोहन चाचा ने गेहूं का बोझा सुरभि गाय के गोबर से लीपे हुए खलिहान में पटकते हुए कहा- लगऽ  हौ नयका साल आ गेलो ।  खिड़की दरवाजे बंद कर सोई हुई कोहबर कुंज से माननीया ने कहा -आ हा ह !कितना सुंदर बसंत है !लगता है नए वर्ष का जन्म हो गया !-
खिड़की दरवाजे सब बंद ही रहे
घर आंगन कैसे मकरंद हो गए?
             दुर्गा सप्तशती की आराधना में बैठे जगमोहन दादा ने श्लोक उच्चरित करते हुए कहा-
प्रथमम् शैल पुत्री च द्वितीय ब्रह्म चारिणी ॥
यही तो आनंद है,जगन्नमाता की आराधना के साथ हमारा नया वर्ष आज से ही शुरू हुआ ।
आज से नया वर्ष क्यों शुरू हुआ, इसके पीछे हमारा पुराना इतिहास खड़ा है ।
1-आज विक्रम संवत् 2079 का पहला दिन है ।
2-आज कलयुग संवत् 5122 वर्ष का पहला दिन है ।
3-आज वेद सम्बत का 1,96,08,53,123 वर्ष  का पहला दिन है ।
4-आज मानव सृष्टि का 1,96,08,53,123 वर्ष शुरू हुआ ।
5-आज कल्प संवत का 1,97,38,13,123 हुआ।उसका भी आज पहला दिन है ।
6- ज्योतिष के प्रमुख ग्रंथ हिमाद्रि के अनुसार जगत (सृष्टी) की उत्पति आज ही के दिन सुर्योदय के समय हुई थी-
चैत्र मासी जगद् ब्रह्मा ससर् प्रथमेऽहनि ।
शुक्ल पक्षे समग्रन्तु तथा सूर्योदये सति ॥
जगत की उत्पत्ति का आज पहला दिन है।कल्प संवत 1,97,38,13,123 वाँ वर्ष ।
7-पूर्व तीन चतुर्युग के पश्चात आज के दिन ही त्रिबिष्टप के मानसरोवर में अमैथुनी पद्धति से ॠषियों की उत्पत्ति हुई थी और उत्पन्न होते ही वे समाधिस्थ हो  गए थे।
8- जगत (सृष्टी) की उत्पति के 5 वर्ष बाद आज ही के दिन वेदों का आविर्भाव हुआ था ।
9-आज के दिन ही है 12,05,33,122 वर्ष पूर्व वैवस्वत मन्वंतर का आरंभ हुआ ।
10- 5122वर्ष पूर्व आज के दिन ही कलियुग का प्रादुर्भाव हुआ था। भारतीय गणना के अनुसार कलियुग की उम्र आज5122 वर्ष हुई ,परन्तु पाश्चात्य गणनाकार बैली के अनुसार  इसकी उम्र 5154 वर्ष हुई।
11-चक्रवर्ती सम्राट श्री राम प्रभु का राज्याभिषेक आज के  दिन ही हुआ था।
13- महाराज युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी  आज के  दिन ही हुआ था ।
14-सम्राट विक्रमादित्य ने 2079 वर्ष पूर्व आज के दिन ही संगठित राष्ट्र  की स्थापना की थी ।
15-सिक्खों के दूसरे गुरु श्री अंगद देव जी का जन्म आज के दिन ही हुआ था ।
हमारे पास नया वर्ष मनाने के इतने सारे औचित्य हैं, इसलिए हम आज  के दिन नया वर्ष मनाते हैं ।
आज का दिन  कितना पावन, मनभावन और पवित्र है ।साहित्यकारों की मंडली में एक कवि( डॉ प्रेमी) ने अपना गीत सुनाया -
नए वर्ष में हम छू लेंगे नभ के चांद सितारे।
नए वर्ष में मधुमय होंगे सागर के जल खारे ॥
नए वर्ष के आगमन पर लताओं ने वहुरंगी पुष्प खिलाए, गंध बिखेरते पुष्पो से पराग झरे ,दिग्- दिगंत में अरूणाई छाई,भौंरों के की भ्रामरी सुन किशोरों की तरुणाई ने अंगड़ाई ली-
बसंत के चपल चरण!
मार्च का अर्थ होता है आरंभ। मार्च पास्ट- सेना के अधिकारी ने आदेश दिया- मार्च! लेफ्ट- राइट- लेफ्ट करती हुई टुकड़ी आगे बढ़ गई ।यही तो नव संवत्सर है ।
नई फसलें, नए अन्न, दलहन- तिलहन-  सब्जी- साग, सब नया नया। खेत आराम करने लगे, खलिहान निहाल हो गए- नया वर्ष आ गया । रात की निद्रा से उबरते हुए सुबह-सुबह लाला ने पूछा- दादा जी! नया वर्ष आ गया क्या ? उत्साह शरीर धारण कर चतुर्दिक क्या दसों दिशाओं में भ्रमण कर रहा है।  माथे पर कलश लिए राजमार्ग पर घंट घरियाल के साथ लोग जा रहे हैं। सर्वत्र आनंद ही आनंद है। यही नया वर्ष है।                                                                                                                डॉ सच्चिदानन्द प्रेमी
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