रचनाकार का दिल

रचनाकार का दिल

अरविन्द अकेला
दिलदार नगर में आनंद प्रकाश और अखिलेश आनंद नाम के दो साहित्यिक व्यक्तित्व रहते थे। दोनों कविता,कहानी,गीत,गजल लिखा करते थे।आनन्द प्रकाश अखिलेश आनंद से उम्र में सोलह साल छोटे थे।
आनंद प्रकाश ने अखिलेश आनंद को आज से तीस साल पहले दिलदार नगर में आयोजित एक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में कार्यक्रम शुरू होने के पहले काव्य पाठ करते देखा जिसकी नोटिस नहीं तो आयोजक और नहीं श्रोतागण ले रहे थे।यह बात वहाँ पर उपस्थित आनन्द प्रकाश को अच्छी नहीं लगी। उसी समय आनंद प्रकाश ने निश्चय किया कि मैं स्थानीय कवियों व शायरों के सहयोग से एक साहित्यिक मंच तैयार करूँगा जिसमें सभी को मौका दूंगा, सभी का अखवार में नाम प्रकाशित करवाऊंगा।
सबसे पहले आनंद प्रकाश एक लब्ध प्रतिष्ठित अखवार का जिला संवाददाता बने फिर उसके बाद एक साहित्यिक मंच"साहित्य परिषद" का गठन कर जिले के दर्जनों कवियों व साहित्यकारों को एक सशक्त मंच प्रदान किया।अखवार में नाम निकालकर उन्हें अपने प्रदेश से लेकर जिले में स्थापित किया।
संस्था के गठन के छह साल बाद आनंद प्रकाश रोजी -रोजगार के लिए दिलदार नगर से बाहर चले गये।
अखिलेश प्रकाश ने आनन्द प्रकाश के बाहर जाने के बाद एक नयी साहित्यिक संस्था का गठन किया। कुछ साल बाद अखिलेश आनंद को एक स्मारिका का संपादन करने का सुअवसर मिला। समारिका में अखिलेश आनंद ने जिले के साहित्यिक बिकास में समस्त बड़े से छोटे कवियों के योगदान व नाम की चर्चा की परन्तु आनंद प्रकाश के नाम की चर्चा कहीं नहीं की जिस कारण आनंद प्रकाश को काफी दुख हुआ जिसे अखिलेश आनंद ने इसे मनमुटाव माना।आनंद प्रकाश ने अखिलेश आनंद को कई बार कवि गोष्ठी,कवि सम्मेलन में बुलाने का प्रयास किया,परन्तु सब बेकार साबित हुआ।
अचानक बीमार आनंद प्रकाश को अखिलेश आनंद के मृत्यु की सूचना मिली,जिसने आनंद प्रकाश के कवि मन को झकझोर रख दिया।
आनन-फानन में आनंद प्रकाश ने ऑनलाइन शोक सभा व अखिल भारतीय कवि सम्मेलन आयोजित कर अखिलेश आनंद के प्रति अपनी निष्ठा और सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की।
अखिलेश आनंद व उसके साहित्यिक मित्रों का आनंद प्रकाश के प्रति उच्च सोच विचार नहीं रहता था।
अखिलेश आनंद की मृत्यु के बाद अखिलेश आनंद के साहित्यिक मित्रों का आनंद प्रकाश के प्रति सद्विचार की अनुभूति महसुस हुयी क्योंकि आनन्द प्रकाश ने अखिलेश आनंद की मृत्यु के बाद अपनी नैसर्गिक उदारता का परिचय दिया।
अखिलेश आनंद के सबसे बड़े शुभचिन्तक साहित्यकार सुरेन्द्र गांगुली ने कहा कि कवियों,शायरों,गीतकारों व रचनाकारों के बीच आपसी मतभेद हो सकता है लेकिन आपसी मनमुटाव ठीक नहीं है ।अखिलेश आनंद की मृत्यु के बाद आनंद प्रकाश ने मानवता व उदारता का परिचय देकर अखिलेश आनंद के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि निवेदित की है, ऐसा कार्य कोई बड़े दिलवाला आनंद प्रकाश जैसा रचनाकार हीं कर सकता है।
साहित्यकर सुरेन्द्र गांगुली के मुख से सुविचार सुनकर आनंद प्रकाश को सुखद अनुभूति का अहसास हुआ ।आनन्द प्रकाश ने मन हीं मन कहा कि पुरी दुनियाँ हीं हमें लाख भला बुरा कहे परन्तु हमें किसी के बारे में बुरा नहीं सोचना चाहिए और नहीं किसी से मनमुटाव करनी चाहिए।
अरविन्द अकेला,पटना।
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