शराबबंदी की यथार्थता

शराबबंदी की यथार्थता

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
बिहार मंे भी कुछ राज्यों की तरह शराबबंदी लागू है। सरकारी नियम-कानूनों के तहत शराब पीना, शराब की बिक्री आदि जुर्म है लेकिन वहां शराब की तस्करी और शराब की लूट की खबरें अक्सर आती रहती हैं। पिछले दिनों गोपालगंज जिले मंे शराब से लदी बोलेरो से लोगों ने जमकर शराब की बोतले लूटीं। जहरीली शराब से कितने ही लोगों की जान चली गयी। जाहिर है कि पीने वालों ने इधर-उधर से जुगाड़ करके पीना शुरू कर दिया है। अभी कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सरकारी कर्मचारियों को शराब न पीने के लिए शपथ दिलाई थी। शराबबंदी कैसे लागू की जाए यह चिंता का विषय है क्योंकि शराब के चलते ही कितने घर उजड़ गये और उजड़ रहे हैं। बिहार ही नहीं ऐसे हालात उन सभी राज्यों मंे हैं जहां शराबबंदी लागू है। बिहार मंे कुछ ज्यादा ही चोरी छिपे शराब पी जा रही है। इसीलिए सरकार के सहयोगी दल भाजपा के एक विधायक ने कहा कि नीतीश कुमार जी को शराबबंदी कानून वापस ले लेना चाहिए। मेरी समझ से यह ठीक नहीं है। जरूरत है सभी लोगों को मिलकर प्रयास करने की और यह प्रयास होना चाहिए कि लोग शराब पीने से होने वाले दुष्परिणाम को समझें।

बिहार में शराबबंदी है, ये बात हर किसी को पता है। लेकिन, इसके बावजूद शराब तस्करी और शराब लूट की खबरें अक्सर सामने आती रहती है। इसी बीच ऐसी ही एक घटना गोपालगंज जिले से सामने आई है, जिसका एक वीडियो वायरल हुआ था, इस वीडियो में लोग शराब लूटते हुए दिख रहे हैं। दरअसल, गोपालगंज के उचकागांव थाना के बदरजिमी बाजार में शराब लदी एक बोलेरो ने एक साइकिल सवार को ठोकर मार दी। ठोकर मारने के बाद मौके पर मौजूद ग्रामीणों द्वारा बोलेरो चालक और बोलेरो को घेर लिया गया। मौके पर उमड़ी भीड़ द्वारा बोलेरो में भरी शराब को लूट लिया गया। बोलेरो से हो रही शराब लूट की वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे सभी शराब को लूट रहे है। मौके पर पहुची पुलिस एक युवक को पकड़ डंडे मारने लगी। पुलिस को देखते ही सभी वहां से भागने लगे। पुलिस ने एक शराब तस्कर सहित 8 लोगो को गिरफ्तार कर लिया। मौके पर मौजूद एक युवक ने बताया, कि एक बोलेरो पूरे शराब से भरा था,जिसे लोग लूट कर फरार हो गए। बता दें कि गोपालगंज में ये दूसरी घटना है, जिसने बिहार सरकार के शराब बंदी कानून की पोल खोल कर रख दी है। वहीं जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में मुख्य पथों पर शराब बंदी के नाम पर पुलिस द्वारा किए जा रहे वाहन जांच पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल यह भी खडा हो रहा है कि आखिर इतनी पुलिस जांच के बावजूद भी धड़ल्ले से जिले के विभिन्न गांवों की गलियों तक आखिर शराब कैसे पहुंच रही है।

बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी के अपने अभियान के तहत पिछले दिनों सरकारी अधिकारियों को शराब से दूर रहने की शपथ दिलाई। इस बीच उनके सहयोगी भाजपा के एक और विधायक ने सार्वजनिक रूप से उनसे ये कानून वापस लेने का आग्रह किया। दरअसल, इससे पहले भी सीएम नीतीश इस तरह से शपथ दिलाने की रस्मअदायगी कर चुके हैं लेकिन इसके बाद भी राज्य में शराब का कारोबार चलता रहता है। इस पर नीतीश कुमार का कहना है कि आज फिर वह शपथ इसलिए करवा रहे हैं ताकि मन मजबूत हो और इधर-उधर कोई बायें-दाएं ना करे। जो भी बायें दायें करता है, उन पर कानून के मुताबिक कारवाई हो। वहीं शादियों में पुलिस की छापेमारी पर हो रही आलोचना पर उन्होंने कहा कि एक जगह महिला पुलिसकर्मी के बिना पुलिस टीम चली गई थी, जिस पर लोग बात कर रहे हैं। पुलिस को कैसे पता चलेगा कि शादी का कार्यक्रम है या होटल में लोग ठहरे हैं। ऐसी कुछ घटनाओं को लेकर पुलिस प्रशासन पर सवाल भी उठ रहे हैं। गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले बिहार पुलिस का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें पुलिसकर्मी एक शादी समारोह में शराब को लेकर छापेमारी करने पहुंचे और दुल्हन के कमरे की तलाशी लेने लगे। इस दौरान उनके साथ कोई महिला पुलिसकर्मी मौजूद नहीं थी।

बिहार में शराबबंदी कानून पर नीतीश सरकार विधायक ही सवाल उठाने लगे हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचैल ने सीएम नीतीश कुमार से निवेदन किया है कि जिस तरीके से पीएम मोदी ने कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान कर दिया है, उसी तरह बिहार में भी शराबबंदी कानून वापस हो। उन्होंने पुलिस प्रशासन पर निशाना साधते हुए कहा कि पुलिस मिली हुई है और शराब बिकवा रही है। अगर पुलिस चाह ले तो पत्ता नहीं हिलेगा। बचैल ने कहा कि मैं सीएम के 15 साल के सुशासन काल पूरा होने पर निवेदन कर रहा हूं कि सीएम शराबबंदी कानून को वापस ले लें। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों से 96 प्रतिशत किसानों को फायदा होने वाला था लेकिन जनदबाव में आकर पीएम मोदी ने कानून को वापस ले लिया। बिहार में भी यह कानून वापस हो सकता है। भाजपा विधायक हरि भूषण ठाकुर ने कहा कि शराबबंदी कानून लागू करने के लिए जिम्मेदार लोग ही इसका उल्लंघन कर रहे हैं। नतीजतन, छात्रों को जेल हो रही है, माफियाओं और विक्रेताओं को नहीं। मैं बिहार के सीएम से शराबबंदी कानून को वापस लेने का आग्रह करता हूं। भाजपा विधायक ने कहा कि शराबबंदी कानून हमलोगों पर भारी पड़ रहा है। क्षेत्र में पुलिस की मनमानी है। जो शराब बेचते हैं, उन्हें पुलिस नहीं ले जा रही है और जो नहीं बेचता है, उसे धमकाया जाता है। पुलिस तंत्र कमजोर शराबबंदी कानून को कमजोर कर रहा है।

उधर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी दावा किया कि बिहार में शराबबंदी के समय उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आगाह किया था कि अन्य राज्यों से शराब की तस्करी रोक पाना काफी मुश्किल होगा पर उन्होंने (नीतीश) इसे सफलतापूर्वक लागू करने का भरोसा दिया था। बिहार की पिछली महागठबंधन सरकार में लालू प्रसाद की पार्टी राजद के साथ सत्ता में रहे नीतीश के शराबबंदी के निर्णय को लेकर लालू का यह बयान उस समय आया जब प्रदेश में हाल के दिनों में जहरीली शराब पीने से बड़ी संख्या में लोगों की मौत होने पर राज्य की पुलिस पर शराब की बिक्री और खपत पर लागू प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू करने को लेकर सवाल उठाए गये।

लालू प्रसाद ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान शराब तस्करी के मामले में बिहार की तुलना एक ‘टापू’ के रूप में करते हुए आरोप लगाया कि चारों तरफ से इसकी तस्करी हो रही है और अब राजस्व भी हासिल नहीं हो पा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि लोग मर रहे हैं और शराब की होम डिलीवरी हो रही है। राजद सुप्रीमो के छोटे पुत्र तेजस्वी प्रसाद यादव ने भी शराबबंदी की विफलता का आरोप लगाते हुए पुलिस व राज्य सरकार पर निशाना साधा। नीतीश कुमार की यह समस्या सिर्फ बिहार ही नहीं है बल्कि देश भर में शराब की नशाखोरी रोकने की है।
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