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फौलादी हाथ और एके-203

फौलादी हाथ और एके-203

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
लड़ाई के मैदान में अस्त्र-शस्त्रों का अपना अलग ही महत्व होता है। भारतीय सेना में फौलादी साहस रखने वाले जवान हैं। अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब भारतीय वायुसेना के कमांडर अभिनंदन ने मिग-21 से पाकिस्तान के अमेरिका से मिले आधुनिक एफ-16 विमान को मार गिराया था। यह साहस बिरलों में ही होता है। सुरक्षा और सैन्य उपकरण के मामले में भारत ने अपने सैनिकों के लिए एके-203 असाल्ट राइफलें ली हैं। रूस के साथ इन राइफलों को लेने का करार हुआ हे। इस राइफल को इंसास राइफल के स्थान पर लाया जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस राइफल का निर्माण भारत में मेक इन इंडिया के तहत हो रहा है। सेना के फौलादी हाथों में एके-203 राइफल दुश्मनों के सीने छलनी कर देगी।

सुरक्षा और सैन्य उपकरण के मामले में भारत ने एक और नई इबारत लिखते हुए रूस के साथ एके-203 असॉल्ट राइफल को लेकर करार किया है। इस राइफल को इंसास के स्थान पर लाया जा रहा है। बीते दिनों भारतीय सेना के लिए मानक मुद्दों पर इंसास की मिस फायरिंग और ज्यादा आलोचना को देखते हुए इसे बदलने की योजना है। एके-203 के समझौते पर हथियारों से जुड़े कलाश्निकोव परिवार की प्रतिष्ठित मुहर लगी है, जो इसे और भरोसमंद बनाती है। इस समझौते का उद्देश्य सामग्री से लेकर उत्पादन के लिए संसाधन तक हर चीज को स्थानीय तौर पर करना है। इस तरह से यह करार ‘मेक इन इंडिया’ के प्रयासों को एक नई ऊंचाई देगा। आधुनिक एके-203 असॉल्ट राइफल के उत्पादन के प्रस्ताव की घोषणा पहली बार 2018 में की गई थी, लेकिन दाम और हथियार की तकनीक के स्थानांतरण के मुद्दे पर बात नहीं बन सकी थी। हालांकि रूस के तकनीकी साझा करने को लेकर रॉयल्टी माफ करने की बात पर सहमत होने पर अब उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के कोरवा में फैक्ट्री लगाने के लिए रास्ता साफ हो गया है। रिपोर्ट बताती है कि 5000 करोड़ रुपये की लागत से 6 लाख एके-203 के उत्पादन के लिए करार किया गया है। अगले साल से उत्पादन शुरू होने की उम्मीद की जा रही है। समझौते में हुई देरी के बीच इस साल की शुरुआत में भारत ने अमेरिका की एस आई जी सौर 716 असॉल्ट राइफल के साथ रूस में पहले से तैयार 70,000 एके-203 राइफल खरीदने का फैसला लिया था. जिसे आपातकालीन प्रावधान के तहत अधिकृत किया गया था.

राइफल के दाम का मुद्दा पूरी तरह से भारतीयकरण, भारत में हथियार के निर्माण के साथ तकनीक के स्थानांतरण के इर्द गिर्द था। रिपोर्ट के मुताबिक घरेलू स्तर पर इसे बनाने की लागत इसे बाहर से मंगाने की तुलना में अधिक होगी, लेकिन रूस के प्रत्येक राइफल उत्पादन पर रॉयल्टी शुल्क माफ कर देने के बाद अब वह दिक्कत भी दूर हो गई है। एके-203 को इंसास के स्थान पर लाया जाएगा। इंसास को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ( डीआरडीओ) ने तैयार किया था। 1990 की शुरुआत में इसे सेना में शामिल किया गया था। तब से इसमें कई खामियों की सूचनाएं मिल रही थीं, 2017 में केंद्र ने इसका बेहतर विकल्प तलाशने का फैसला लिया।

तमाम तरह की कमियों के बीच इंसास राइफल में जाम होने की दिक्कत भी थी। साथ ही इसकी मैगजीन में शून्य तापमान में चटकने की शिकायत भी पाई गई थी। ऐसा कहा जाता है कि युद्ध क्षेत्र में मौजूद सैन्य दलों और ऐसे दल जो नक्सल या आतंकविरोधी अभियानों का संचालन करते हैं, उन्हें नियमित रूप से इंसास की जगह एके-47 या कोई आयातित राइफल इस्तेमाल के लिए कहा जाता है।

इसके अलावा इंसास राइफल की छोटी 5.56×45 एम.एम. कैलिबर की बुलेट लक्ष्य को खत्म करने के बजाए उसे चोटिल करती थी। वहीं एके-203 के शामिल करने से यह सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी। यह राइफल प्रसिद्ध रूसी स्वचालित कलाश्निकोव राइफल के परिवार से है। रूसी सुरक्षा निर्यात एजेंसी रोसोबोर्न एक्सपोर्ट के मुताबिक एके प्लेटफॉर्म पर तैयार की गई एके-203 में निशाने की सटीकता और बैरल लाइफस्पान में सुधार किया गया है। इसके साथ ही कुछ और आधुनिक बातें इसमें शामिल हैं। जैसे फोल्डिंग और एडजस्टेबल बटस्टॉक, विंडो और राइफल मैगजीन, पिस्टल के जैसी पकड़ जिससे इसकी मारक क्षमता ज्यादा सहज हो जाती है।

एके-203 इंसास राइफल की तुलना में हल्की, छोटी और ज्यादा घातक है। बगैर मैगजीन और बेयोनेट के इंसास राइफल का वजन करीब 4.15 किलो होता है वहीं खाली एके-203 का वजन 3.8 किलो रहता है। अगर लंबाई की बात करें तो जहां इंसास बगैर बेयोनेट के 960 मिमी की है, वहीं एके-203 की स्टॉक फोल्डेड के साथ लंबाई 705 मिमी है। इंसास की रेंज 400 मीटर है और एके-203 की साइटिंग रेंज 800 मीटर है। एके-203 की मैगजीन में 30 बुलेट आती हैं वहीं इंसास राइफल में 20 राउंड की क्षमता है। इसके अलावा एके-203 में स्वचालित और अर्ध स्वचालित दोनों ही तरह के मोड होते हैं। इसी तरह इंसास से एक मिनट में 650 बुलेट चलती हैं. वहीं एके-203 एक मिनट में 600 बुलेट चलाती है. जिससे इसकी मारक क्षमता बढ़ जाती है।

एके-203 का उत्पादन भारत में इंडो-रशिया राइफल्स प्रा लि (आईआरआरपीएल) करेगी, जिसे ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज बोर्ड और रूसी संस्थाओं रोसोबोरोन एक्सपोर्ट और कंसर्न कलाश्निकोव के बीच एक संयुक्त उद्यम के रूप में बनाया गया था। इस संयुक्त उद्यम में रूसी कंपनियों की हिस्सेदारी बाकी बचे 49.5 फीसद पर होगी। फरवरी 2019 में भारत और रूस के बीच एक अंतर सरकारी समझौते के तहत इस संयुक्त उद्यम को तैयार किया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 2019 में अपने एक बयान में कहा था कि एके-203 के 100 फीसद भारतीयकरण पर जोर दिया जाएगा। अधिकारियों का मानना है कि जब यह कारखाना पूरी तरह से चालू हो जाता है तो उससे एमएसएमई से जुड़े कई घटकों और सेवाओं के लिए मौके उत्पन्न होंगे. इससे इस क्षेत्र में निवेश और रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है।

गतदिनों भारत और रूस ने आपसी साझेदारी और अधिक बढ़ाने के लिए 28 समझौतों पर हस्ताक्षर किए। साथ ही, आतंकवाद से खतरा एवं अफगानिस्तान में उभरती स्थिति जैसी बड़ी चुनौतियों से निपटने में सहयोग व समन्वय बढ़ाने का संकल्प लिया। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच शिखर वार्ता को ‘काफी फलदायी’ करार दिया. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के बीच कई क्षेत्रों में संधि समेत 28 समझौते किए गए।

विदेश सचिव ने कहा कि भारत की सुरक्षा संबंधी सभी चिंताओं पर चर्चा हुई। श्रृंगला ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि मोदी और पुतिन ने अफगानिस्तान पर भारत और रूस के बीच करीबी सहयोग व विचार-विमर्श जारी रखने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा,” दोनों पक्ष इस बात को लेकर स्पष्ट रहे कि अफगानिस्तान की जमीन का उपयोग किसी भी तरह के आतंकी कृत्यों की साजिश, प्रशिक्षण और आश्रय के लिए नहीं किया जाना चाहिए।” विदेश सचिव ने कहा कि वार्ता के दौरान ऊर्जा के क्षेत्र में रणनीतिक सहयोग के बारे में भी विस्तार से चर्चा हुई। उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद से निपटने पर भी जोर दिया गया और दोनों पक्षों ने इसे साझा हितों वाला क्षेत्र करार दिया। श्रृंगला ने कहा कि दोनों पक्षों ने सीमा-पार आतंकवाद से लड़ने की आवश्यकता पर भी बल दिया। वहीं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत को एक बहुत बड़ी शक्ति और वक्त की कसौटी पर खरा उतरा मित्र बताते हुए कहा कि आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी और संगठित

अपराध साझा चुनौतियां हैं, जिनका दोनों देश सामना कर रहे हैं। (हिफी) हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

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