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असंगठित श्रमिकों का हित साधन

असंगठित श्रमिकों का हित साधन

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए जब लाकडाउन लगाया गया था, तब सबसे ज्यादा परेशान वे श्रमिक हुए थे जो दूसरे राज्यों मंे अथवा गांव छोड़कर शहरों मंे काम करने गये थे। कितने ही श्रमिक तो परिवार समेत वहां रह रहे थे। लाॅकडाउन के चलते उनका काम छूटा और कमाया हुआ पैसा जब खत्म होने लगा तो वे अपने घर की तरफ लौटने लगे। आने-जाने के सरकारी साधन भी बंद हो गये थे। उन मजदूरों को अपने घर तक आने मंे कितनी परेशानी का सामना करना पड़ा, यह अनुभव करना हमारे-आपके लिए संभव नहीं है। केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों ने भी उन असंगठित श्रमिकों के लिए तत्काल रोजगार देने, हर प्रकार की सहायता पहुंचाने मंे कोई कसर नहीं उठा रखी थी लेकिन उनके उज्जवल भविष्य के लिए कोई ठोस उपाय करना भी तब संभव नहीं हो पाया। उस समय उनकी तत्काल आवश्यकताएं पूरी की गयी थीं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन सभी असंगठित श्रमिकों के लिए पेंशन योजना शुरू करने का निश्चय जताया है। देश भर मंे लगभग 38 करोड़ मजदूर ऐसे हैं, जो असंगठित क्षेत्र मंे काम करते हैं। केन्द्रीय श्रम मंत्री ने श्रमिकों के पंजीकरण के लिए ई श्रम पोर्टल पहले से बनाया है। असंगठित श्रमिकों मंे असंतोष भी पनपने लगा था। हरियाणा मंे तो उन्हांेने पीएम आवास तक घेरा था।
केंद्र सरकार अब असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को पेंशन के रूप में आर्थिक सहायता देने की योजना बना रही है। इसके लिए सरकार ‘डोनेट पेंशन’ अभियान चलाने की तैयारी में है। इसमें लोगों को स्वैच्छिक रूप से इस पेंशन के लिए सहयोग देने के लिए प्रेरित किया जाएगा। यह अभियान उस ‘गिव इट अप’ अभियान का हिस्सा होगा, जिसके तहत लोगों को रसोई गैस की सब्सिडी जरूरतमंदों के लिए छोड़ने के लिए प्रेरित किया गया था।
‘डोनेट पेंशन’ अभियान में एक व्यक्ति को केवल 36,000 रुपये प्रति मजदूर खर्च आने की संभावना है। यह प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन (पीएम-एसवाईएम) योजना के तहत एकमुश्त भुगतान है, जो श्रमिक द्वारा अपने पूरे जीवन के दौरान किए जाने वाले मासिक योगदान की भरपाई करेगा। इस योजना के तहत लाभार्थी 60 वर्ष की आयु से 3,000 रुपये मासिक पेंशन के लिए पात्र होगा। रिपोर्ट के मुताबिक शीर्ष सरकारी अफसरों ने बताया है कि श्रम मंत्रालय इस संबंध में उच्च स्तर पर विचार के लिए प्रस्ताव तैयार कर रहा है। श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर में केवल 35 श्रमिकों ने योजना के तहत नामांकन किया, जबकि 85 ने सितंबर में पंजीकरण कराया था। साल में अब तक औसत मासिक पंजीकरण 2,366 रहा है। अधिकारी ने इस संबंध में कहा, ‘अगर इसे मंजूरी मिल जाती है तो यह योजना को पुनर्जीवित करेगी और लाखों श्रमिकों को इसके दायरे में लाएगी।’ डोनेट पेंशन लाखों असंगठित श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा देने के उद्देश्य से शुरू की गई एक स्वैच्छिक पेंशन योजना है। यह 18-40 आयु वर्ग के असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों पर आधारित है जो हर महीने 15,000 से कम कमाते हैं। इसके तहत एक मजदूर को 55 रुपये से लेकर 200 रुपये के बीच योगदान करना होगा, जबकि सरकार की ओर से भी एक समान योगदान प्रदान किया जाएगा।
तीन साल पहले इस योजना के शुरू होने के बाद से अक्टूबर तक कुल मिलाकर 45.1 लाख अनौपचारिक श्रमिकों को नामांकित किया गया है। हालांकि, यह देश में अनुमानित 38 करोड़ अनौपचारिक श्रमिकों की तुलना में बहुत कम है। उनमें से अधिकांश को 60 वर्ष की आयु के बाद किसी भी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा के बिना छोड़ दिया गया है। देश भर में लगभग 38 करोड़ मजदूर ऐसे हैं जो असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं। इनमें से ज्यादातर दिहाड़ी मजदूर है। इन लोगों की दशा तब नजर आई थी जब कोरोना लॉकडाउन का ऐलान हुआ था। ऐसे मजदूरों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक डेटा बेस तैयार करने को कहा था। इसी क्रम में केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने ई-श्रम पोर्टल लॉन्च किया।
ीजजचेरूध्ध्तमहपेजमत।मेीतंउ।हवअ।पदध् पर जाकर कोई भी मजदूर अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। इसमें उन्हें अपना आधार नंबर मोबाइल नंबर और बैंक अकाउंट नंबर देना होगा। इस पोर्टल पर मजदूर को अपना बाकी ब्योरा जैसे घर का पता और काम करने की क्षमता, शिक्षा का स्तर, आमदनी आदि बताना होगा।
देशभर के 38 करोड़ से अधिक असंगठित कामगारों को विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ने के लिए ई-श्रम पोर्टल की शुरुआत की गई है। रजिस्ट्रेशन होने के बाद मजदूरों को एक श्रम कार्ड और नंबर दिया जाएगा। ये कार्ड और नंबर पूरे देश भर में माना जाएगा। मजदूर चाहे देश की किसी हिस्से में काम करें उन्हें इस कार्ड से मदद दी जाएगी। इस पोर्टल पर मजदूर अपनी शिकायत भी दर्ज करा पाएंगे। पोर्टल के लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है जिसमे मजदूर मदद मांग सकते हैं।
केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों और मजदूर संगठनों को इस रजिस्ट्रेशन को कामयाब बनाने के लिए आगे आने की अपील की है। जितने ज्यादा मजदूर रजिस्ट्रेशन कराएंगे, योजनाएं भी उसी आधार पर बनाई जाएंगी।
असंगठित श्रमिकों में अब आक्रोश भी देखा जा रहा है। मजदूरी दर घटाने को लेकर शनिवार को सिरसा की अनाज मंडी में मजदूरों ने मार्किट कमेटी के बाहर धरना दिया था। मजदूरों द्वारा अनिश्चितकालीन धरना दिया गया। मजदूरों का कहना है कि सरकार द्वारा प्रति बोरी लेबर 13 रुपये 43 पैसे से घटाकर 12 रुपये 37 पैसे कर दी गई है, जिसका हम विरोध कर रहे हैं। मजदूरों का कहना था कि पहले ही बढ़ती महंगाई ने हमारी कमर तोड़ दी है और अब हरियाणा सरकार द्वारा मजदूरी दर को और घटा दिया गया।
बता दें कि, हरियाणा सरकार द्वारा अनाज मंडी में प्रत्येक फसल की प्रत्येक बेग की 50 किलोग्राम की भर्ती की जाती है। बेग भर्ती के लिए मजदूरों को प्रति बेग 13 रुपये 43 पैसे दिए जाते थे जिसको घटाकर 12 रुपये 37 पैसे कर दिया गया। जिसको लेकर आज मजदूर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर उतर आए हैं। मजदूर यूनियन के सदस्य ने बताया कि आढ़ती एसोसिएशन द्वारा हमारा पूरा सहयोग किया जा रहा है। बढ़ती महंगाई में सरकार द्वारा मजदूरी दर को घटा दिया गया है। अब इस स्थिति में हम अपने परिवार का गुजारा किस तरह करेंगे। उन्होंने बताया कि जो कोई किसान भाई अपनी फसल आज लेकर आया है उसकी फसल की तुलाई की जाएगी, कल से मंडी पूर्ण तरीके से बंद रहेगी। उन्होंने मांग की है कि जब तक सरकार हमारी मजदूरी दर को पहले जैसे रेटों पर नहीं कर देती, हमारा धरना अनिश्चिकालीन रहेगा। किसान मुख्यमंत्री के निवास के ठीक बिल्कुल बाहर दरियां बिछाकर बैठ गए थे। यह तो एक उदाहरण है इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं। (हिफी)हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

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