'असुरों के पुरोहित': 'गिरोह' के मनगढ़ंत खबर का सच!
शाकद्वीपीय ब्राह्मणों को 'असुरों का पुरोहित' बताने संबंधी भ्रामक और आपत्तिजनक खबर पूरी तौर पर एक एक साजिश के तहत उस 'गिरोह' के लोगों ने प्रकाशित किया या कराया जो सनातन संस्कृति को छिन्न-भिन्न करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसका सबूत है कि जिस कृष्ण किसलय जी की बात को खबर लिखने वाले ने हवाला दिया है वे छः माह पूर्व दिवंगत हो गये हैं। किसलय जी एक निर्विवाद पत्रकार रहे हैं। वे पत्रकारिता के हर मापदंड को अपना कर काम करते थे। खबर लिखने वाले ने जिस दूसरे ब्यक्ति श्याम सुन्दर तिवारी जी की बात को आधार बनाया है वे यह देखकर स्वयं अचंभित हैं। डेहरी-आॅन सोन के रहने वाले एकि प्रतिष्ठित पत्रकार श्याम सुन्दर जी से इस बावत जब मैंने पूछा तो उन्होंने कहा ' मुझसे कोई बातचीत हुई ही नहीं है। खबर में मेरा नाम छापकर मुझे लोगों के बीच अपमानित करने का कुत्सित प्रयास किया गया है।' उन्होंने कहा कि 'इस बावत वे अपनी बात से 'हिन्दुस्तान' के सम्पादक को अवगत करा दिया है'। यह सच इस बात को स्पष्ट करता है कि छठ पूजा के समय इस तरह का भ्रामक खबर ठंढ़े दिमाग से एक रणनीति के तहत लिखा गया है और प्रकाशित किया गया है। यदि यह कहा जाय कि प्रतिष्ठित अखबार दैनिक 'हिन्दुस्तान' जाने-अनजाने इस रणनीति का हिस्सा बन रहा है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इसका प्रमाण अखबार के १२ नवंबर के सासाराम संस्करण में छपे उस 'पर्चा' से मिलता है जिसे 'खबर के खंडन' के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है। करीब पैंतीस साल तक अखबार में पत्रकारिता के दौरान किसी खबर के खंडन का यह 'बेमिसाल' मापदंड मैंने नहीं देखा। वस्तुत: यह लोगों में 'खंडन का झांसा' परोसा गया है। सवाल उठता है कि यह खंडन किसने किया? इसकी कोई चर्चा इस तथाकथित खंडन में नहीं है। जबकि अखबार में प्रकाशित किसी भी खबर की पूरी जिम्मेवारी सम्पादक पर होती है इसलिए खबर के प्रतिवाद का दरमोदार भी सम्पादक पर ही होता है। इसलिए आज प्रकाशित 'पर्चा' खंडन कतई नहीं हो सकता। दूसरा, जब यह मामला राष्ट्रीय स्तर का है तब इसका 'खंडन' किसी जिला के संस्करण में छापना पत्रकारिता के मापदंड के प्रतिकूल है।
लेखक विष्णुकांत मिश्र वरिष्ट पत्रकार है दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com
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