खुली आंखों से....
--:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र"अणु"
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सपने देखना है तो आंखें बंद कर-
हकीकत खुली आंखों से दिखती है।१।
झूठ एक कोने में खडा सुबकता है-
ये सच्चाई तो सर चढकर चीखती है।२।
तुम्हे क्या पता है हाले दिल कैसा है,
कहा तेरी लेखनी कविता लिखती है।३।
बेइमान लोगों का सलाह है सुनों तो-
अरे इज्जत तो चौराहे पर बिकती है।४।
सच कह रहा है आजकल"मिश्रअणु"
जिंदगी हर रोज नई बात सिखती है।५।
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