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परिचय पत्र

परिचय पत्र

हम कई दशकों से 
देखते आ रहे हैं
तुम्हारा परिचय पत्र
कभी तुम फौजी का वस्त्र पहने
सैकड़ों की संख्या में 
मारे जाते हो कारगिल में
कभी सरहदों पर, 
कभी घाटियों में, 
बनते हो सैनिकों के गोलियों का निशाना

हम देखते हैं तुम्हारा परिचय पत्र
जब तुम पकड़े जाते हो दिल्ली, मुंबई अहमदाबाद, 
लखनऊ में
तुम्हारे परिचय पत्र के साथ-साथ 
हम जान लेते हैं 
तुम्हारे रहनुमाओं का भी परिचय
जो अर्सा बीतने के बावजूद
आज भी कर रहे हैं 
अपने वजूद की तलाश
जो कारगिल का एक पत्थर
तो उठा न सके
वो काश्मीर लेने की करते हैं बात

मेरा परिचय इनता ही काफी है
कि मैं एक जीता जागता
राष्ट्र पुरुष हूँ
जमीन का टुकड़ा नहीं
जिसका शौर्य और पराक्रम
तुम देख चुके हो 
अपने घर की भीतर
जो बन चुका है इतिहास।

-- वेद प्रकाश
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