हौसला हो पास जिसके
हौसला हो पास जिसके, पंख की जरुरत नहीं,
प्रीत का विश्वास संग हो, साथ की जरुरत नहीं।
आस्था ने सदा जिसे, जीने का संबल दिया हो,
हर दिवस खुशियाँ मिलें, मधुमास की जरुरत नहीं।
दिल मिलें न मिलें कभी, ख्याल भी हों जुदा जुदा,
साथ फिर भी चल रहे, अलगाव की जरुरत नहीं।
एक हो मंजिल अगर, मुसाफिर हों अलग अलग,
अजनबी अपनों से लगें, अपनों की जरुरत नही।
हो दिवाना इश्क में, ख्यालों में खोया हुआ,
भीड में रहकर भी तन्हां, तन्हाई की जरूरत नही।
आस्था और विश्वास का, हो मधुर मिलन जहाँ,
हो गया सब खुद समर्पित, समर्पण की जरूरत नही।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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