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देवीपूजन से संबंधित कुछ सर्वसामान्य कृत्यों की अध्यात्मशास्त्र की दृष्टि से उचित पद्धतियां

देवीपूजन से संबंधित कुछ सर्वसामान्य
कृत्यों की अध्यात्मशास्त्र की दृष्टि से उचित पद्धतियां

          प्रत्येक देवता का एक विशिष्ट उपासनाशास्त्र है । इसका अर्थ है कि प्रत्येक देवता की उपासनाके अंतर्गत प्रत्येक कृत्य विशिष्ट कार से करनेका अध्यात्मशास्त्रीय आधार है । आदिशक्ति श्री दुर्गादेवी एवं उनके सर्व रूपों के (सर्व देवी के) पूजन से संबंधित सर्वसाधारण की  कृत्यके विषयमें जानकारी, आगेकी सारणीमें दी है ।

 

उपासना का कृत्य

कृत्य से संबंधित प्रप्त ज्ञान

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शक्तिपूजन से पूर्व उपासक स्वयं को तिलक कैसे लगाए ?

मध्यमा से आज्ञाचक्रपर एक खडी रेखा का तिलक लगाए ।

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देवी को चंदन किसे उंगली से लगाएं ?

चंदन अनामिका से लगाएं ।

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पुष्प चढाना

 

 

. कौन से पुष्प चढाएं ?

मोगरा, गुलदाउदी, रजनीगंधा, कमल, जूही

 

. संख्या कितनी हो ?

एक अथवा नौ गुना

 

. पुष्प चढाने की पद्धति क्या हो ?

पुष्पोंका डंठल देवता की ओर कर चढाएं ।

 

. पुष्प कौन से आकार में चढाएं ?

पुष्प गोलाकार चढाकर वर्तुल के मध्य की रिक्ति को भर दें ।

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अगरबत्ती से आरती उतारना

 

 

. तारक उपासना के लिए किसे सुगंध की अगरबत्ती ?

चंदन, गुलाब, मोगरा, केवडा, चमेली, चंपा, जाही, खस, रातरानी एवं अंबर

 

. मारक उपासना के लिए किसे सुगंध की अगरबत्ती ?

हिना एवं दरबार

 

. संख्या कितनी हो ?

दो

 

. उतारने की पद्धति क्या हो ?

दाएं हाथ की तर्जनी एवं अंगूठे के बीच दो अगरबत्तियां पकडकर घडी की सुइयों की दिशा में पूर्ण गोलाकार पद्धति से तीन बार घुमाएं ।

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इत्र किसे सुगंध की अर्पित करें ?

मोगरा

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देवी की कितनी परिक्रमाएं करें ?

न्यूनतम (कम से कम) एक अथवा नौ और उस से अधिक करनी हो तो नौ गुना

संदर्भ सनातनका ग्रंथ, की शक्ति (भाग १)दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com

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