कृत्यों की अध्यात्मशास्त्र की दृष्टि से उचित पद्धतियां
प्रत्येक देवता का एक विशिष्ट उपासनाशास्त्र है । इसका अर्थ है कि
प्रत्येक देवता की उपासनाके अंतर्गत प्रत्येक कृत्य विशिष्ट कार से करनेका
अध्यात्मशास्त्रीय आधार है । आदिशक्ति श्री दुर्गादेवी एवं उनके सर्व रूपों के (सर्व देवी के) पूजन
से संबंधित सर्वसाधारण की कृत्यके विषयमें
जानकारी, आगेकी सारणीमें दी है
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उपासना का कृत्य |
कृत्य से संबंधित
प्रप्त ज्ञान |
१. |
शक्तिपूजन से पूर्व उपासक स्वयं को तिलक कैसे लगाए ? |
मध्यमा से आज्ञाचक्रपर एक खडी रेखा का तिलक लगाए । |
२. |
देवी को चंदन किसे उंगली से लगाएं ? |
चंदन अनामिका से लगाएं । |
३. |
पुष्प चढाना |
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अ. कौन से पुष्प
चढाएं ? |
मोगरा, गुलदाउदी, रजनीगंधा, कमल, जूही |
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आ. संख्या कितनी हो ? |
एक अथवा नौ गुना |
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इ. पुष्प चढाने की
पद्धति क्या हो ? |
पुष्पोंका डंठल देवता की ओर कर चढाएं । |
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ई. पुष्प कौन से आकार
में चढाएं ? |
पुष्प गोलाकार चढाकर वर्तुल के मध्य की रिक्ति को भर दें । |
४. |
अगरबत्ती से आरती उतारना |
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अ. तारक उपासना के
लिए किसे सुगंध की अगरबत्ती ? |
चंदन, गुलाब, मोगरा, केवडा, चमेली, चंपा, जाही, खस, रातरानी एवं अंबर |
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आ. मारक उपासना के
लिए किसे सुगंध की अगरबत्ती ? |
हिना एवं दरबार |
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इ. संख्या कितनी हो ? |
दो |
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ई. उतारने की पद्धति
क्या हो ? |
दाएं हाथ की तर्जनी एवं अंगूठे के बीच दो अगरबत्तियां पकडकर घडी
की सुइयों की दिशा में पूर्ण गोलाकार पद्धति से तीन बार घुमाएं । |
५. |
इत्र किसे सुगंध की अर्पित करें ? |
मोगरा |
६. |
देवी की कितनी परिक्रमाएं करें ? |
न्यूनतम (कम से कम) एक अथवा नौ और उस
से अधिक करनी हो तो नौ गुना |
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