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आक्रामक मुद्रा में सोनिया

आक्रामक मुद्रा में सोनिया

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

बहुत दिनों के बाद कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी आक्रामक मुद्रा मंे नजर आयीं। उनका आक्रोश जहां एक तरफ मोदी सरकार पर दिखा, वहीं कांग्रेस के असंतुष्टों को भी जमकर फटकार लगायी। सोनिया गांधी ने कहा कि जिसको जो भी कहना है, पार्टी के मंच पर कहे। मीडिया के मंच से अपनी बात कहने वाले मुझे पसंद नहीं हैं। कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक मंे जी-23 ग्रुप के कुछ नेता भी मौजूद थे जिन्होंने मीडिया के मंच से कांग्रेस हाईकमान को कई बार नसीहत दी है। सोनिया गांधी ने मुखर और प्रभावी नेतृत्व की तर्ज पर मोदी सरकार के कई फैसलों को निशाने पर लिया। तीनों कृषि कानूनों का जिक्र करते हुए सोनिया गांधी ने किसानों का समर्थन हासिल करने का प्रयास किया तो दूसरी तरफ सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने पर सरकार को कठघरे मंे खड़ा किया। फिलहाल अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव सितम्बर 2022 तक कराने की बात कही गयी है।

कांग्रेस कार्यसमिति की 16 अक्टूबर को पार्टी मुख्यालय में बैठक हुई, जिसमें सांगठनिक चुनाव एक साल के भीतर पूरे करा लेने पर सहमति बनी। बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के असंतुष्ट नेताओं पर निशाना साधा। जी-23 के असंतुष्ट नेताओं को नसीहत देते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि मैं पार्टी की पूर्णकालिक अध्यक्ष हूं और मुझसे बात करने के लिए मीडिया का सहारा लेने की जरूरत नहीं है। सोनिया गांधी ने पेट्रोल-डीजल और घरेलू गैस सिलेंडर की बढ़ती कीमतों, अर्थव्यवस्था की हालत, किसान आंदोलन और लखीमपुर खीरी कांड को लेकर मोदी सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सरकार सब कुछ बेचने पर तुली हुई है। सोनिया गांधी ने पार्टी के भीतर आलोचकों खासकर जी -23 की ओर इशारा करते हुए पूर्णकालिक और सक्रिय कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में अपनी स्थिति को रेखांकित किया। जी-23 के नेता लंबे समय से संगठन में व्यापक बदलाव और प्रभावी नेतृत्व के लिए चुनाव की वकालत कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा, अगर आप मुझे बोलने की इजाजत दें तो मैं पूर्णकालिक और सक्रिय अध्यक्ष हूं...। उन्होंने जी 23 नेताओं को नसीहत देते हुए कहा, ‘‘मैंने सदा स्पष्टवादिता की सराहना की है। मुझसे मीडिया के जरिये बात करने की जरूरत नहीं है। इसलिए हम सभी यहां खुली और ईमानदार चर्चा करते हैं, लेकिन इस चारदीवारी से बाहर जो बात जाए वो सीडब्ल्यूसी का सामूहिक फैसला होना चाहिए।

सोनिया गांधी ने कहा कि कांग्रेस को फिर से मजबूत करने के लिए आत्मसंयम और अनुशासन की जरूरत है। सोनिया गांधी ने कहा कि पूरा संगठन कांग्रेस को दोबारा खड़ा करना चाहता है, लेकिन इसके लिए एकता और पार्टी के हितों को सर्वोपरि रखने की जरूरत है। इन सबसे बढ़कर आत्म-नियंत्रण और अनुशासन की आवश्यकता है। उन्होंने किसान आंदोलन, महामारी के दौरान राहत एवं सहायता तथा समाज के निचले तबके के खिलाफ अत्याचारों पर प्रकाश डालते हुए कहा, मैंने इन मुद्दों को प्रधानमंत्री के सामने उठाया था जैसे डॉक्टर मनमोहन सिंह जी और राहुल गांधी ने किया। मैं समान विचारधारा वाले दलों से बातचीत कर रही हूं। हमने राष्ट्रीय मुद्दों पर संयुक्त बयान जारी किए हैं और संसद में भी अपनी रणनीति में समन्वय स्थापित किया है। उन्होंने बैठक में यह भी बताया कि अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया 30 जून तक पूरी की जानी थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण ही इसे टालना पड़ा तथा अब इसकी रूपरेखा पेश की जाएगी।

कांग्रेस अध्यक्ष ने आगामी विधानसभा चुनावों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘हमारे सामने कई चुनौतियां आएंगी, लेकिन अगर हम एकजुट रहते एवं अनुशासित रहते हैं और सिर्फ पार्टी के हित पर ध्यान केंद्रित करते हैं तो मुझे पूरा विश्वास है कि हम अच्छा करेंगे। सोनिया गांधी ने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए तैयारियां आरंभ हो चुकी हैं। उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत में किसान आंदोलन की चर्चा करते हुए तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को काला कानून बताया और कहा कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों पर हुई बर्बरता ने बीजेपी की मानसिकता उजागर कर दी है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, हम किसानों और किसान संगठनों द्वारा जारी आंदोलन की पृष्ठभूमि में मिल रहे हैं। संसद के माध्यम से तीन काले कानून को पास हुए एक साल से अधिक का समय हो गया है। हमने उन्हें विधायी जांच के अधीन करने की पूरी कोशिश की लेकिन मोदी सरकार उन्हें पारित कराने पर तुली हुई थी ताकि कुछ निजी कंपनियों को फायदा हो सके। सोनिया गांधी ने कहा, कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने तुरंत अपना विरोध शुरू कर दिया और तब से अब तक बहुत कुछ झेला है। लखीमपुर-खीरी की चैंकाने वाली घटना भाजपा की मानसिकता को उजागर करती है कि वो कैसे किसानों को धोखा देती है?

सोनिया ने देश की अर्थव्यवस्था को चिंताजनक बताते हुए कहा कि आर्थिक सुधार के नाम पर मोदी सरकार के पास एक ही विकल्प बचा है- बेचो, बेचो, और बेचो। उन्होंने कहा कि दशकों से बड़े प्रयास से निर्मित राष्ट्रीय संपत्तियों को मोदी सरकार में बेचा जा रहा है। सोनिया ने कहा सार्वजनिक क्षेत्र के न केवल रणनीतिक और आर्थिक उद्देश्य हैं बल्कि इसके सामाजिक लक्ष्य भी हैं। उदाहरण के लिए, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का सशक्तिकरण और पिछड़े क्षेत्रों का विकास करना भी सार्वजनिक क्षेत्र का उद्देश्य है लेकिन यह सब मोदी सरकार के बेचो, बेचो, बेचो के सिंगल-पॉइंट एजेंडे से खतरे में है। कांग्रेस अध्यक्ष ने आवश्यक वस्तुओं की कीमतों खासकर खाद्य और ईंधन तेल की कीमत में बेतहाशा बढ़ोत्तरी पर नाराजगी जाहिर की और कहा, क्या देश में किसी ने कभी सोचा था कि पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक होगी और डीजल 100 रुपये प्रति लीटर के करीब होगा। गैस सिलेंडर की कीमत 900 रुपये होगी और खाना पकाने का तेल 200 रुपये लीटर होगा। यह पूरे देश के लोगों के लिए जीवन पर आघात है।

कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सांगठनिक चुनावों पर भी चर्चा हुई। बैठक में तय किया गया है कि 1 नवंबर 2021 से संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी और अगले साल 2022 के अक्टूबर तक कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव करा लिया जाएगा। फिलहाल पार्टी ने पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों पर फोकस करने का फैसला किया है। (हिफी)
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