अपराजिता
----:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र"अणु"
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मैं पहले हीं
प्रण कर लिया है
कि जो कोई मुझे
युद्ध में पराजित करेगा
वही मेरा पति बनेगा
जाकर उससे कहो
कि आकर मुझसे लडे।
और जीतकर हाथ पकडे।।
वह अपने मन को
किया कडा
सामने आकर भीडा
और न जीत सका वह
रखी रह गई बीडा
बनी रही देवी नव पुनिता।
सुर-पुजिता,अपराजिता।।
आते रहे दैत्य
झुण्ड के झुण्ड
कभी रथी बनकर
तो कभी चढ वितुण्ड
रक्तबीज,चण्ड-मुण्ड।
भव-भवानी-त्रिपुण्ड।।
सनातन नारी मानी है घमण्डी है।
कहीं,सती,साध्वी,सीता,रणचंडी है।।
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