बस एक बार तुम आ जाओ।
डोल रही है धरा
गगन है डोल रहा
बोल रही है बेटी देश की
हर बच्चा बच्चा बोल रहा
कृष्ण !कृष्ण!
बस एक बार तुम आ जाओ।
दुःशासन का तांडव है जारी
लाज बचाने को आतुर है नारी
भीष्म द्रोण विदुर सब मौन हुये
आँखो़ पर पट्टी बाँध चुकी है गांधारी
सभा बीच है चीख मचाती पांचाली
अस्मिता बचाने कृष्ण!
बस एक बार तुम आ जा़ओ।
छोड़ो मुरली गांडीव धरो तुम
मधुर तान को त्याग हुंकार भरो
कंस सरीखे अधम दिखें जहाँ
उनका तुम संहार करो
चक्रसुदर्शन धारण कर फिर
हे कृष्ण!
बस एक बार तुम आ जाओ।
.....मनोज कुमार मिश्र"पद्मनाभ"।
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