लाल बहादुर शास्त्री
क्रांति काल का सच्चा योद्धा
कुशल नेतृत्व अनुपम विचार
हिंम सा हौसला सिन्धु सी समझ
भरा राष्ट्र प्रेम हृदय अपार
जय जवान जय किसान का नारा
धरती के लाल ने छेड़ा था
वो लाल बहादुर था बुद्धिमान
कर मे थी पतवार देश का बेड़ा था
सादा जीवन उच्च विचार
निर्धनों का सदा सहायक था
ईमानदारी रग रग में भरी
भारत मां का पायक था
बचपन से बाधाओं को झेला
जो त्याग तपस्वी ज्ञानी थे
दूरदर्शिता के परिचायक
राष्ट्र प्रहरी सेनानी थे
सामना डटकर करते
हर संकट तूफानों का
धीरज धर आगे बढ़ते
रखते तोड़ व्यवधानो का
नई प्रेरणा मार्गदर्शन
उनकी यादें दे जाएगा
जन्मदिन लाल देश का
जन मन में उमंग जगाएगा
महा सिंधु महापुरुष की
जीवनी हमें खूब सिखाती है
सादगी भरे जीवन में ही
विलक्षण शक्तियां आती है
शांति वार्ता खातिर हम तो
ताशकंद में छले गए
शांति दूत बन भारत के
वो लाल देश के चले गए
भारती के लाल आप को
शत-शत वंदन अभिनंदन है
पावन है वह जन्मभूमि
माटी का कण कण चंदन है
रमाकांत सोनी नवलगढ़
जिला झुंझुनू राजस्थान
स्वरचित रचना मौलिक है
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