सच्चा तिलांजलि
~ डॉ रवि शंकर मिश्र "राकेश"
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लोगों की सेवा में रत नित रहा करो ,
जबभी मिले मौका करो बड़े चाव से।
निर्वहन सिर्फ सत्कर्मों का किया करो,
सेवा करो तो नेक समर्पण के भाव से।
नेक कर्म कर कुछ जगत में ऐसा,
ईर्ष्या-द्वेष त्याग अपने वयादर से।
हर कोई गुणगान करे यश तुम्हारा,
लोग सभी शीश झुकाए आदर से।
छोड़ व्यर्थ यूँ ही झूठा दम्भ भरना,
नर से डरते नहीं तो डरो फादर से।
दुखियारों का दुःख श्रद्धा से बांटो,
सम्मानित करे लोग रेशमी चादर से।
जिसने तेरा अस्तित्व दिया जमीं पर,
उनका मान बढ़ाओ सत् कर्मो से।
तभी खत्म होगा पितृऋण तुम्हारा,
तर्पण करो संचित मानवीय धर्मो से।
जिंदगी भर उनका किया है शोषण,
व्यर्थ के दिखाबे और आडंबर से।
अब तो दे सच्चा तिलांजलि उन्हें,
दे आशीष आत्मा उनकी अंबर से।
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