‘दी इंटरनेश्नल इंस्टिट्यूट ऑफ नॉलेज मैनेजमेंट’, श्रीलंका (The International Institute of Knowledge Management (TIIKM), Sri Lanka) द्वारा आयोजित की गई ‘द एटथ इंटरनेशनल कांफ्रेन्स ऑन आर्टस् एंड ह्युमॅनिटीज्, 2021’ (The 8th International Conference on Arts and Humanities (ICOAH) 2021, Sri Lanka) इस विषय पर आयोजित अंतराष्ट्रीय परिषद में वे बोल रहे थे । श्री. क्लार्क ने ‘वीडियो गेम खेलना और सामाजिक जालस्थलों में मग्न रहने के सूक्ष्म परिणाम’ यह शोधनिबंध प्रस्तुत किया । इस शोधनिबंध के लेखक परात्पर गुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवलेजी तथा सहलेखक श्री. शॉन क्लार्क हैं । इस परिषद में 20 से अधिक देशों के 60 से भी अधिक शोधनिबंध प्रस्तुत किए गए । इनमें से 5 प्रस्तुतकर्ताआें को ‘उत्कृष्ट प्रस्तुतीकरण’ पुरस्कार हेतु चुना गया । जिसमें श्री. शॉन क्लार्क का भी चयन किया गया ।
महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा विविध वैज्ञानिक परिषदों में प्रस्तुत किया गया है, यह 79 वां प्रस्तुतीकरण था । इससे पूर्व विश्वविद्यालय ने 15 राष्ट्रीय और 63 अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक परिषदों में शोधनिबंध प्रस्तुत किए हैं । इनमें से 6 अंतरराष्ट्रीय परिषदों में विश्वविद्यालय को ‘सर्वोत्कृष्ट शोधनिबंध’ पुरस्कार प्राप्त हुआ है ।
श्री. क्लार्क ने ‘प्रभामंडल और उर्जा मापक यंत्र’ (युनिवर्सल ऑरा स्कैनर (यूएएस)) और सूक्ष्म परीक्षण के माध्यम से ‘वीडियो गेम’ खेलना और सामाजिक संकेतस्थलों में मग्न रहने पर होने वाले सूक्ष्म परिणामों का अध्ययन करने के लिए किए गए शोध के संदर्भ में दी जानकारी संक्षिप्त रूप में निम्नानुसार है ।
1. ‘यूएएस’ के द्वारा वीडियो गेम खेलने के परिणामों का अध्ययन : शोध केंद्र में निवास करनेवाले 5 साधकों को केवल एक घंटा एक आक्रमक ‘वीडियो गेम’ (फर्स्ट पर्सन शूटर वीडियो गेम) खेलने के लिए बताया गया । यह गेम खेलने के पहले तथा उपरांत साधकों की ऊर्जा ‘यूएएस’ उपकरण द्वारा मापी गई । गेम खेलने के उपरांत इन पांचो साधकों की नकारात्मक ऊर्जा में अत्यधिक वृद्धि हुई अथवा उनकी सकारात्मक ऊर्जा अल्प हुई पाई गई । इनमें से जिन 2 साधकों में गेम खेलने के पूर्व नकारात्मक ऊर्जा नहीं थी, उनमें गेम खेलने पर नकारात्मक ऊर्जा निर्माण हुई । इनमें से आध्यात्मिक कष्ट से पीडित एक साधक की नकारात्मक ऊर्जा में 72 प्रतिशत वृद्धि हुई ।
2. ‘यूएएस’ द्वारा सामाजिक जालस्थल देखने के परिणामों का अध्ययन : शोध केंद्र में निवास करनेवाले 5 साधकों को उनके नियमित सामाजिक जालस्थल खातों की प्रविष्टियां (पोस्ट) एक घंटा देखने के लिए बताया गया । देखने के पहले और उपरांत इन पांचों साधकों की ऊर्जा ‘यूएएस’ उपकरण द्वारा मापी गई । साधकों द्वारा केवल उनकी ‘फेसबुक’ और ‘इन्स्टाग्राम’ खातों की प्रविष्टियां (पोस्ट) देखने पर उनकी नकारात्मक ऊर्जा में 15 से 30 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई ।
3. ‘यूएएस’ द्वारा आध्यात्मिक जालस्थल देखने के परिणामों का अध्ययन : उपरोक्त गुट के 2 साधकों को ‘स्पिरिच्युल सायन्स रिसर्च फाउंडेशन’ इस महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के शोध और साधना प्रस्तुत करनेवाले जालस्थल के ‘फेसबुक’ खाते की प्रविष्टियां (पोस्ट) देखने के लिए बताया गया । देखने के पहले और उपरांत किए गए उर्जा मापन से ध्यान में आया कि उन साधकों की नकारात्मक ऊर्जा अल्प हुई तथा उनकी सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि हुई । इससे ध्यान में आया कि सामाजिक जालस्थल पर हम किस प्रकार का साहित्य देखते हैं, यह देखनेवाले पर क्या परिणाम होगा ?, यह निश्चित करनेवाला एक महत्त्वपूर्ण सूत्र है ।
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