तनिक भी नहीं है
---:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र "अणु"
अरे!नराधम-
तनिक भी नहीं है-
तुमको लाज-शरम।।
बेकार की बातों में,
उलझे रहते हो तुम-
बेकार पाल भरम।।
उल्टी-सीधी कहते हो,
कभी अपनी तरफ देखा है-
कि कैसा है करम।।
पालकर नफरत,
करते रहते हो शिकायत-
सबसे गरमागरम।।
बेचकर खुद का जमीर,
लगे बांचने सबका तकदीर-
ये कौन सा है धरम।।
सबने तुम्हें नकारा,
भरी महफिल में दुत्कारा-
कहकर अरे!जा बेशरम।।
फिर भी नहीं है लाज,
बने फिर रहे हो स्वयंभू सरताज-
तुमसे अच्छा जो जन्मा हरम।।
तुम्हारी मानसिकता है ओछी,
जो बघारते हो अपनी शेखी-
"मिश्र अणु" मिटायेगा तेरा भरम।।
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वलिदाद,अरवल(बिहार)804402.
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